RAIPUR. सत्ता से बेदखल होते ही राजनीतिक पार्टियों में बगावत की बात कोई अनोखी बात नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ कांग्रेस में पिछले तीन महीनों से जो कुछ चल रहा है। वो आम बात भी नजर नहीं आती। सत्ता से बाहर होते ही पार्टी नेताओं के भड़ास जैसे फटकर बाहर आ रहे हैं। अब आरोप लगाने वाले कार्यकर्ता अपनी जान का खतरा बताते हुए उन्हीं बड़े नेताओं को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही जमकर बगावत हुई। अब लोकसभा चुनाव के पहले फिर से वही जबरदस्त बगावत नजर आ रही है। और इस बार बगावत के निशाने पर हैं पूर्व सीएम भूपेश बघेल। पहले राजनांदगांव में एक मंच से ही स्थानीय कांग्रेस नेता ने उन्हें खूब खरी खोटी सुनाई, फिर राजधानी रायपुर के पुरानी कांग्रेसी रामकुमार शुक्ल सामने आ गए। उनके बघेल सरकार कार्यकाल का कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए सीईसी को पत्र लिखकर लोकसभा टिकट देने पर ही सवाल खड़ा कर दिया। साथ ही भूपेश बघेल की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग कर दी।
इस बगावत की आंच धीमी पड़ती, उसके पहले रामकुमार शुक्ल ने एक और सनसनीखेज आरोप लगा दिया है। उन्होंने रायपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा है कि चुंकि उन्होंने पूर्व सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ आरोप लगाया है, लिहाजा उन्हें डर है कि उन पर हमला हो सकता है। इसलिए, आचार संहिता के लिहाज से उनकी जो लाइसेंसी रिवाल्वर जब्त की गई है, उसे उन्हें लौटा दी जाए। उनके इस पत्र ने भाजपा को हमला बोलने का एक ओर मौका दे दिया है।
इस पर डिप्टी सीएम अरुण साव कह रहे हैं कि इससे साबित होता है कैसे कांग्रेस में कार्यकर्ता को डरा, धमकाकर पार्टी चलाने का चलन है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर कह रहे हैं कि पार्टी के नेता स्लीपर सेल तो बोल ही चुके हैं। ऐसे में आतंकवादी संगठन से खतरा तो सभी को होता है।
काग्रेसी नेताओं की बगावत ने भाजपा नेताओं को हमले बोलने के जबरदस्त मौके दे दिए हैं। हालांकि बगावत से हलाकान पार्टी के नेता किसी तरह बयानों से मोर्चा संभालने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। पार्टी के संचार विभाग के प्रमुख कहते हैं कि ऐसे नेता भाजपा के इशारों पर, उनसे लाभ लेकर पार्टी के खिलाफ बयान दे रहे हैं। ऐसे धंधेबाज लोगों को तत्काल पार्टी के बाहर किया जाएगा।
वैसे भी कहा जाता है, कि राजनीति हो या युद्ध का मौदान, लड़ाई में दुश्मनों की ताकत से ज्यादा अपनों की गद्दारी ने ज्यादा नुकसान किया है और इस पैमाने पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी कुछ ज्यादा ही मुश्किल में नजर आ रही है।