डेकेश्वर (डीके) ठाकुर
GARIABAND. देश में 18वीं लोकसभा चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग की घोषणा का इंतजार है। प्रदेश की हाईप्रोफाइल संसदीय सीट महासमुंद में धीरे-धीरे चुनावी सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं। यहां तीन दफे जीत की हैट्रिक मार चुकी भाजपा 2024 के चुनाव में जीत का चौका लगाने को बेताब दिख रही है। इस दिशा में संजीदगी के साथ प्रयास भी शुरू कर दिया गया है। भाजपा ने यहां के प्रभारी, संयोजक – सहसंयोजकों की नियुक्तियां कर 30 जनवरी को महासमुंद में डिप्टी सीएम अरुण साव के हाथों केंद्रीय चुनाव कार्यालय का उद्घाटन करवा कर चुनावी बिगुल फूंक दिया है। इस सीट पर भाजपा की गतिविधियों को देखने से ऐसा लगता है कि पार्टी ने अंदरूनी तौर पर अपने उम्मीदवार तय कर रखे हैं। नाम की घोषणा पहिली सूची में कर दिए जाने की पूरी संभावना हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी की मौजूदगी में प्रदेश पदाधिकारियों-जिलाध्यक्षों से प्रारंभिक चर्चा के उपरांत सूबे के आला- नेताओं से बंद कमरे में सभी ग्यारह सीटों के लिए नामों के पैनल पर प्रारंभिक रायशुमारी कर लिए हैं। महिला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा ने रायपुर पहुंचकर चार सीटों पर महिला प्रत्याशी उतारे जाने की वकालत करने के साथ महिला नेत्रियों को आसन्न चुनाव के टिप्स देते अभियान में जुटने के निर्देश दिए हैं। पार्टी का अगला कार्यक्रम लोकसभा स्तरीय कार्यकर्ता – नेता सम्मेलन का था, जो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के छत्तीसगढ़ आगमन के कारण टलते नजर आ रहा हैं। पार्टी नेताओं, पदाधिकारियों के लिए फिलहाल मतदाताओं तक पहुंचने के लिए बूथ अभियान तय किया गया है। न्याय यात्रा के प्रदेश से गुजरते ही कांग्रेस की चुनावी गतिविधियां तेज होने के आसार हैं। टिकट के दावेदारों द्वारा अपने स्तर पर घेराबंदी जारी है।
बता दें कि सन् 1952 में पहले चुनाव के साथ ब तक यहां 18 चुनाव हुए हैं, जिसमें 12 बार कांग्रेस, 5 बार भारतीय जनता पार्टी और एक बार जनता दल को जीत मिली है। भारतीय राजनीति के धूमकेतु कहे जाने वाले विद्याचरण शुक्ल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत इसी संसदीय क्षेत्र से की थी। वे यहां से 6 बार निर्वाचित होकर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी बने। 1998 में उनके अग्रज अविभाजित मध्यप्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे पं.श्यामाचरण शुक्ल भी बतौर सांसद निर्वाचित हुए। शुक्ल परिवार की परंपरागत विधानसभा सीट राजिम भी इसी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पूर्व इन दोनों ही निर्वाचन क्षेत्र में शुक्ल परिवार का एकतरफा दबदबा हुआ करता था। पर्चा दाखिले के साथ उनकी जीत मान ली जाती थी, लेकिन राज्य बनने के बाद उनका ये रुतबा कायम न रहा। परिवार के राजनीतिक जीवन में उतार – चढ़ाव का दौर शुरू हो गया। 2004 के लोकसभा चुनाव में विद्याचरण शुक्ल को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी से मुकाबले में करारी हार झेलनी पड़ी तो शुक्ल परिवार के इकलौते सियासी वारिश प्रदेश के प्रथम पंचायत मंत्री अमितेश शुक्ल को राजिम विधानसभा में अब तक हुए पांच चुनावों में से तीन में पराजय का मुंह देखना पड़ा ।
विधानसभा चुनाव परिणाम ने बढ़ाई चिंता
2019 के मोदी लहर में महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से खल्लारी विधायक रहते हुए भाजपा प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू को 90511 मतों के अंतर से करारी शिकस्त देने वाले मौजूदा सांसद चुन्नीलाल के मामले में अहम पहलू रहा कि वे आठ विधानसभा क्षेत्रों वाले इस संसदीय सीट के सातों विधानसभा क्षेत्र में बढ़त मिलने के बावजूद अपने विधायकी वाले गृह क्षेत्र खल्लारी से 9243 मतों से पीछे रह गये थे। अपने पांच वर्षों के संसदीय कार्यकाल के दौरान इस गढ्ढे को भरने में विफल रहे। 2023 के विधानसभा चुनाव में यह गढ्ढा 37119 मतों का हो गया। कांग्रेस ने यहां निर्णायक बढ़त ले ली वही उनके संसदीय क्षेत्र के ही एक अन्य विधानसभा सरायपाली से कांग्रेस को मिली 41828 मतों की बढ़त के साथ ही भाजपा के अभेद्य किले के रूप में चिंहित बिंद्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा लहर के बावजूद भाजपा प्रत्याशी की पराजय चिंता का कारण बन सकती है।
हाईप्रोफाइल नेताओं के नामों की चर्चा
महासमुंद सीट में एस सी-एस टी मतदाताओं की प्रभावी संख्या में होने के कारण स्व.विद्याचरण शुक्ल,प्रथम मुख्यमंत्री स्व.अजीत जोगी, स्व.पं.श्यामाचरण शुक्ल जैसे भारतीय राजनीति के दिग्गज नेताओं की पसंदीदा क्षेत्र के रूप में सुमार महासमुंद में प्रत्याशी चयन के मामले पर संजीदगी के साथ मंथन का दौर जारी हैं। खल्लारी से दूसरे मर्तबा निर्वाचित विधायक पूर्व संसदीय सचिव द्वारकाधीश यादव, अपनी जमीनी और सड़क की राजनीति के लिए चर्चित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व महामंत्री अमरजीत चावला,पूर्व संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर, वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर शुक्ला के साथ पार्टी के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू के नामों पर पार्टी द्वारा विचार किये जाने के समाचार हैं। बघेल का नाम महासमुंद के अलावा राजनांदगांव और रायपुर के लिए भी विचाराधीन है। लोकसभा चुनाव लड़ने- सीट चुनने का फैसला उनको करना हैं। यहाँ यदि अमितेश शुक्ल की ओर से दावा किया जाता हैं तो वह भी फौरी तौर पर काबिले -गौर होगा।
भाजपा के भावी दावेदार पड़ गए पस्त
भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों और केंद्रीय नेतृत्व के बीते विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के फार्मूले को देख बरसो से सपना संजोये लोकसभा चुनाव के टिकट के भावी दावेदारों के समक्ष विकट सी स्थिति बनी हुई हैं। आज की स्थिति में वे न तो दावा कर पा रहे हैं और न ही दम भर पा रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकारों की रणनीतियां दावेदारों के लिए वेट एंड वॉच के सिवा कोई चारा ही नहीं दिखता। बहरहाल महासमुंद सीट की सियासी तासिर और परिवेश के मुताबिक क्षेत्र की जनता -कार्यकर्ताओं के बीच प्रत्याशीयों को लेकर चल रही चर्चाओं पर गौर करे
तो भाजपा से पूर्व दबंग मंत्री कुरुद विधायक अजय चंद्राकर,पूर्व सांसद चंदूलाल साहू, पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय के साथ सिरकट्टी आश्रम के संत गोवर्धन शरण महाराज के नाम सामने आ रहे हैं। अंचल में चल रही चल रही चुनावी सरगर्मियां के बीच एक बात उल्लेखनीय है कि भाजपा -कांग्रेस के दावेदारों की नीतियों -रणनीतियों में जमीन-आसमान की भिन्नता के बावजूद एक समानता जरूर दिखाई पड़ रही हैं। दोनों ही पार्टियों के दावेदार सामान्य सीट पर सामान्य वर्ग के प्रत्याशी के लिए दबाव बनाए हुए हैं।