BILASPUR.राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड ने दंतेवाड़ा के दो युवकों को पात्रता सूची से बाहर कर दिया क्योंकि उनके द्वारा प्रस्तुत किया गया विकलांगता प्रमाण पत्र को जारीकर्ता प्राधिकारी जिला मेडिकल बोर्ड ने सत्यापित नहीं किया था। मामले की जांच हुई तब पता चला कि युवाओं के प्रमाण पत्र का रिकार्ड सिविल सर्जन दक्षिण बस्तर के कार्यालय में है ही नहीं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कलेक्टर व सिविल सर्जन को फटकार लगाई साथ ही एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया है।
बता दें, एनएमडीसी ने 29 मई 2015 को विविध परिचारक के पद के लिए समूह डी में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक विशेष भर्ती अभियान चलाया। याचिकाकर्ता विजय कुमार ने इस संबंध में विकलांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है जो 13 नवंबर 2006 को उनके पक्ष में जारी किया गया था। इसके अनुसार उनकी 40 फीसद गतिशीलता थी। याचिकाकर्ता महेश राम ने भी अपना विकलांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है जो 13 नवंबर 2006 को जारी किया गया था।
इसके तहत वह श्रवण हानि यानी बहरापन की 40 प्रतिशत विकलांगता से ग्रस्त था। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में विजय कुमार यादव व महेश राम ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाओं की एक साथ सुनवाई जस्टिस दीपक तिवारी की सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड बैलाडीला लौह अयस्क खदान, किरंदुल काम्प्लेक्स, जिला दंतेवाड़ा प्रबंधक कलेक्टर जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा व सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक को पक्षकार बनाया है।
हाईकोर्ट ने माना गंभीर लापरवाही
हाईकोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही माना है। कोई ने कलेक्टर व सिविल सर्जन दक्षिण बस्तर को इस लापरवाही के लिए एक लाख रूपये का जुर्माना ठोंका है। कोर्ट ने कहा है कि आदेश की प्रति प्राप्त होने के 90 दिनों के भीतर दोनों याचिकाकर्ताओं को एक-एक लाख रूपये का भुगतान करेंगे। तय अवधिक के भीतर भुगतान न करने पर याचिका दायर करने की अवधि से 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज भी देना पड़ेगा।
जांच में उजागर हुई लापरवाही
याचिकाकर्ताओं के चयन के बाद एनएमडीसी द्वारा जांच की गई। इसमें यह पता चला कि याचिकाकर्ताओं के प्रमाण पत्र संबंधित मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाणित नहीं है। इसलिए एनएमडीसी ने सिविल सर्जन कार्यालय से सत्यापन के लिए एक समिति का गठन किया है। कार्यालय सिविल सर्जन ने एनएमडीसी को सूचित किया है कि विकलांगता प्रमाण पत्र के सत्यापन रिकार्ड उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है, इसलिए इसे सत्यापित नहीं किया जा सका। मेडिकल बोर्ड की जानकारी के बाद एनएमडीसी ने सत्यापित विकलांगता प्रमाणपत्र जमा न करने के कारण याचिकाकर्ताओं को कारण बताओं नोटिस जारी कर स्पष्टीकारण मांगा गया था।