RAIPUR. छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के कार्यकाल में लोक सेवा आयोग (CGPSC) की भर्ती में गड़बड़ी के लगे आरोपों की जांच अब CBI करेगी। विष्णुदेव साय कैबिनेट ने इस मामले को केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपने का फैसला किया है। इस फैसले के साथ ही छत्तीसगढ़ में सीबीआई की एंट्री का रास्ता भी लगभग साफ हो गया है। पिछली कांग्रेस सरकार ने सीबीआई की जांच पर बैन लगा दिया था। भाजपा ने सत्ता में आने पर इस मामले की जांच कराने और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करने का वादा किया था। भाजपा सरकार आने पर युवा जांच की घोषणा का इंतजार कर रहे थे।
छत्तीसगढ़ में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बाद अब सीबीआई की एंट्री होने वाली है। इसके लिए छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रदेश के चर्चित पीएससी मामले की जांच सीबीआई करेगी। यह फैसला विष्णुदेव सरकार कैबिनेट ने लिया है। पीएससी भर्ती में गड़बड़ी का आरोप लगा है। पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी सहित कुछ आईएएस, आईपीएस अफसरों और नेताओं के रिश्तेदारों को नौकरी देने का आरोप है। यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। बता दें कि भूपेश बघेल सरकार ने साल 2019 में सीबीआई जांच को छत्तीसगढ़ में बैन कर दिया था। 2018 तक सीबीआई छत्तीसगढ़ के कई चर्चित मामलों की जांच कर चुकी है।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की विश्वसनीयता को लेकर पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सवाल उठाया था कि ऐसा क्या संयोग है कि चेयरमैन और नेताओं की बेटी और रिश्तेदारों का चयन हो गया? इस केस में PSC और राज्य शासन को जवाब पेश करने के लिए कहा गया है। पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने पीएससी भर्ती को लेकर सीबीआई जांच की मांग उठाई थी।
पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने अपनी याचिका में राजभवन के सचिव अमृत खलको के बेटे और बेटी के डिप्टी कलेक्टर बनने के साथ ही PSC चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के कई रिश्तेदारों, कांग्रेस नेता के रिश्तेदारों के सिलेक्शन पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा था कि PSC में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों ने सिर्फ रेवड़ियों की तरह नौकरियां नहीं बांटी बल्कि इसकी आड़ में करोड़ों का भ्रष्टचार भी किया है। पीएससी परीक्षा 2021 घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 18 नियुक्ति पर रोक भी लगाने का आदेश दिया था।