RAIPUR. छत्तीसगढ़ के चर्चित कोयला और तथाकथित शराब घोटाला मामले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में दो पूर्व मंत्री, पूर्व मुख्य सचिव, दो निलंबित IAS, एक रिटायर्ड IAS और प्रभावशाली कांग्रेस नेताओं समेत 100 से अधिक लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद किसी घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसी की ओर से दर्ज कराई गई यह अब तक की सबसे बड़ी FIR है। आने वाले दिनों में कई सफेदपोश नेताओं और अफसरों के गिरफ्तारी किए जाने की चर्चाएं होने लगी है।
एंटी करप्शन ब्यूरो में जिन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है, उनमें पूर्व मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, जेल में बंद निलंबित IAS रानू साहू, IAS समीर बिश्नोई, IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, पूर्व कांग्रेसी विधायक शिशुपाल सोरी, पूर्व विधायक चंद्रदेव राय, पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह, यूडी मिंज, गुलाब कमरो, विधायक देवेंद्र यादव, पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी मित्र विजय भाटिया का नाम भी शामिल है।
बता दें कि पूर्व की भूपेश बघेल सरकार के दौरान कोयला ट्रांसपोर्टेशन में लेवी वसूली और सिंडिकेट बनाकर शराब में अवैध उगाही के मामले का खुलासा ईडी ने किया है। कोयला घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व मुख्यमंत्री की उप सचिव रही सौम्या चौरसिया, आईएएस समीर बिश्नोई, आईएएस रानू साहू, कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी, लक्ष्मीकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल, निखिल चंद्राकर को गिरफ्तार किया है। अभी सभी आरोपी जेल में बंद है। ईडी ने 540 करोड़ रुपये का अवैध कोल लेवी का खुलासा किया है।
शराब घोटाले को लेकर ED ने दावा किया है कि शराब घोटाले में 2,161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। यह सिंडिकेट पूर्व सरकार के संरक्षण में 2019 में शुरू हुआ। यह भारी भ्रष्टाचार नौकरशाहों, राजनेताओं और उनके सहयोगियों की मिलीभगत से हुआ है। ईडी अभी दोनों मामले की जांच कर रही है। शराब की बिक्री पर छत्तीसगढ़ शासन को मिलने वाली ड्यूटी की राशि का बड़ा राज्य में सरकार चला रहे नेताओं के पास भी जाता था।
एक सिंडिकेट बनाकर सरकार को मिलने वाले 2,161 करोड़ रुपये लूट लिए गए। नकली होलोग्राम से भारी रकम एकत्रित की गई। ईडी की जांच में यह बात भी सामने आई थी कि छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा राज्य में शराब का प्रबंधन और मॉनिटरिंग की जाती है। रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर ने प्रदेश के आठ सौ आउटलेट पर अपने लोगों को तैनात करवाकर इन लोगों की मदद से डुप्लीकेट होलोग्राम बनाया और उससे अवैध देशी और विदेशी शराब बेची गई। केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार अनवर ढेबर अपने लिए कमीशन का 15 प्रतिशत रखता था और बाकी सत्तासीन राजनेताओं को चला जाता था।