JAGDALPUR. छत्तीसगढ़ में लाल आतंक का पर्याय बन चुके माओवादी लगातार अपने संगठन में बदलाव कर रहे हैं। हाल ही में बरामद दस्तावेजों से बड़ी जानकारी मिली है। इसके मुताबिक नक्सलियों के खतरनाक लड़ाके हिड़मा को सेंट्रल कमेटी मेंबर बना दिया गया है। इससे पहले हिड़मा बटालियन नंबर एक का चीफ था। इसके अलावा दरभा डीवीसी के सचिव की कमान संभाल रहे नक्सली लीडर देवा को नक्सलियों की सबसे खतरनाक बटालियन नंबर 1 का चीफ बना दिया है।
बता दें कि झीरम कांड के बाद चर्चा में आए हिड़मा कई नक्सली वारदातों में शामिल होने जानकारी मिलती रहती है। फोर्स को लगातार चुनौती दे रहे हिड़मा को एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। दरअसल, एक मुठभेड़ के बाद बरामद नक्सलियों के दस्तावेजों में हिड़मा को सेंट्रल कमेटी मेंबर बनाने की लिखित जानकारी पहली बार मिली है। नक्सलियों के एक साहित्य में इसकी पुष्टि हुई है। इसमें हिड़मा उसको दी गई नई जिम्मेदारियों का जिक्र है।
बरामद दस्तावेज में लिखा है कि हिड़मा को बीएन कमांडर, बीएनपी सचिव की जिम्मेदारी से रिलीव करते हुए बीएन सहित द.स.ब में सैनिक व संगठनिक कार्य पर केंद्रीयकरण करना और शोध व विकास कार्य की नई जिम्मेदारी दी है। इसी तरह दरभा डीवीसी सचिव देवा को बीएन कमांडर और बनएनपीसी सचिव की जिम्मेदारी दी जाती है। इस दस्तावेज से स्पष्ट होता है कि हिड़मा और देवा दोनों का कद नक्सलवाद की दुनिया में काफी बड़ा हो गया है। दोनों मोस्ट वांटेड और बेहद खतरनाक नक्सलियों पर करोड़ों रुपए का इनाम भी घोषित है।
केवल 16 साल की उम्र में ही नक्सल संगठन में हुआ भर्ती
16 साल की उम्र में उसके गांव पूर्वती में माओवादियों की ग्राम राज्य कमेटी ने हिड़मा को चुना। भर्ती की प्रक्रिया मैंने ही पूरी की थी। उसके साथ कई और बच्चे भी थे। उन्हीं में आज का मशहूर नक्सली पापाराव भी था। बच्चों के लिए माओवादियों में ‘बालल संगम’ नाम से एक संगठन होता है। हिडमा की शुरुआत उसी से हुई।