RAIGARH. नगर निगम क्षेत्र में सड़कों के निर्माण को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। दरअसल शहर सरकार ने चुनाव के पहले शहर की 15 सड़कों के निर्माण के लिए टेंडर किया हुआ था। सड़कों का निर्माण पूरा हो पाता कि इसके पहले आचार संहिता लग गई। वहीं परिणाम के बाद प्रदेश में सरकार ही बदल गई। अब नई सरकार ने पुराने टेंडरों को निरस्त करने का निर्णय़ लिया है। ऐसे में सडकों के निर्माण पर पेंच फंस गया है। भाजपा जहां सडकों के निर्माण पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है तो वहीं शहर भ्रष्टाचार की बात को खारिज करते हुए जनहित में सड़कों का निर्माण जारी रखऩे की बात कह रही है।
आपको बता दें कि रायगढ़ शहर में खराब सडकें एक बडी समस्या है। लंबे समय से शहर की खस्ताहाल सडकों के निर्माण की मांग की जा रही थी। चुनाव के पहले शहर सरकार ने तकरीबन 30 करोड़ की लागत से अलग अलग सडकों के निर्माण की योजना बनाई थी और इसका टेंडर भी जारी कर दिया गया था।
कुछ सडकों का निर्माण तो शुरू हो गया लेकिन अधिकांश सड़कों का निर्माण चुनाव आचार संहिता के चलते अटक गया। नई सरकार ने अब पुराने टेंडर में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसे खारिज कर दिया है। नगर निगम से राशि भी वापस मांग ली है। ऐसे में शहर में सियासत गरमाई हुई है।
भाजपा नेता सुभाष पांडेय, पूर्व सभापति नगर निगम का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार में सड़कों के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ है। निगम ने चहेतों को टेंडर दिया है और निर्माण में लापरवाही बरती गई है। ऐसे में टेंडर निरस्त किया गया है। सड़कों का निर्माण नए सिरे से गुणवत्ता से होना चाहिए।
इधर शहर सरकार ग़डबड़ियों और भ्रष्टाचार की बात खारिज कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि शहर में सडकों की जरूरत को देखते हुए शासन से राशि की मांग की गई थी और टेंडर भी किया गया था। टेंडर प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती गई है। ऐसे में जनहित को देखते हुए राशि को वापस नहीं किया जाना चाहिए। वे राज्य शासन से निर्माण के लिए राशि की मांग करेंगे।