BILASPUR.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने संवैधानिक प्रविधान व अधिकार के संबंध में बड़ा फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने कलेक्टर के द्वारा अधिनियम 1961 की धारा 14(1)(ए) के प्रविधानों के तहत पारित आदेश की व्याख्या करते हुए कहा कि इस प्रविधान के तहत आदेश पारित करने के लिए परिस्थितियों अलग-अलग होगी। जब कोई पार्षद अपने पद का दुरूपयोग करता है और कलेक्टर को लगता है कि उनका कृत्य जनहित में उचित नहीं है तब उसे अयोग्य ठहरा सकता है। निर्वाचित जनप्रतिनिधि को हटाने के लिए चुनाव याचिका की संवैधानिक विकल्प है। इस व्याख्या के साथ कोर्ट ने कलेक्टर के आदेश को रद्द कर दिया।
बता दें,मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि 1961 अधिनियम के धारा 41(1)(ए)के तहत पार्षद को हटाने के कलए आवश्यक कारण आदेश का हिस्सा नहीं है और सौंपा गया कारण 1961 के अधिनियम की धारा 41 के तहत कार्यवाही में विचार के लिए उपलब्ध नहीं है। इसलिए इस न्यायालय की राय में कलेक्टर द्वारा पारित आदेश टिकाऊ नहीं है। इसलिए कलेक्टर के आदेश को खारिज किया जाता है। याचिकाकर्ता सागीर खान ने कलेक्टर के द्वारा 2 दिसंबर 2020 को पारित आदेश को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की। कलेक्टर ने शिकायतकर्ताओं के द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 41 के तहत हटा दिया था। साथ ही कलेक्टर ने पार्षद के चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र भी लिखा था।
क्या है मामला
याचिकाकर्ता ने वर्ष 2019 में नगर पंचायत केशकाल के वार्ड क्रमांक 16 से पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ा था। वह सफल हुआ और वार्ड का पार्षद चुना गया। जितेन्द्र रजक ने 1961 के तहत अधिनियम की धारा 20 के तहत चुनाव याचिका दायर की जो लंबित है। चुनाव याचिका लंबित रहने के दौरान तकरीबन 8 लोगों ने कलेक्टर के समक्ष 1961 के अधिनियम के धारा समक्ष 1961 के अधिनियम के धारा 41(ए)(1) के तहत आवेदन प्रस्तुत किया और याचिकाकर्ता पार्षद को केशकाल नगर पंचायत वार्ड क्रमांक 16 महावीर वार्ड के पार्षद पद से हटाने की मांग की थी। जिस पर कलेक्टर ने पार्षद को अयोग्य ठहरा दिया था।
अधिनियम धारा में आधार ही नहीं उपलब्ध
याचिकाकर्ता के वकील ने पैरवी करते हुए कहा कि कलेक्टर द्वारा पारित आदेश 1961 अधिनियम की धारा 41(1)(ए) के तहत उसे अयोग्य ठहराना असंवैधानिक है। कलेक्टर ने जिस आधार पर उसे हटाया व अधिनियम में है ही नहीं इसलिए कार्यवाही को नहीं मानी चाहिए। उचित आधार होने पर ही कलेक्टर द्वारा कार्यवाही की जानी चाहिए।