JAGDALPUR. राजनीतिक दलों के कर्जमाफी के चक्कर में एक बाद फिर प्रदेश का किसान फंसता दिख रहा है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में किसानों की कर्ज माफी का वादा भूपेश सरकार के हारने के साथ ही अधूरा रह गया। प्रदेश में कांग्रेस पार्टी सत्ता बरकरार नहीं रख पाई और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता की वापसी हो गई। ऐसे में अब किसानों को 15 मार्च तक कर्ज पटाना होगा।
चुनाव से पहले कांग्रेस का वादा था कि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो कर्ज माफ होगा। यह सोचकर किसानों ने बढ़-चढ़कर कर्ज लिया था। लेकिन अब इन किसानों को मार्च तक कर्ज की राशि का पूरा भुगतान करना होगा। साल 2018 में जिस तरह से कांग्रेस पार्टी प्रदेश में कर्ज माफी का वादा कर सरकार में आई थी। उसी तरह से छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से राज्य के किसानों को लग रहा था कि कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में बरकरार रहेगी। यही वजह थी कि किसानों ने इस साल पिछले चुनाव के अनुरूप ज्यादा कर्ज लिया था।
जिला सहकारी बैंक बस्तर के सीईओ श्रीकांत चंद्राकर ने बताया, बस्तर संभाग की बात की जाए तो लगभग 1 लाख 55 हजार किसानों ने कर्ज लिया था। कर्ज की रकम 7 अरब 76 करोड़ रुपए है। हालांकि यह सभी ऋण ब्याज मुक्त है और 15 मार्च तक यह कर्ज पटाने की अवधि किसानों को दी गई है। अगर समय पर किसान अपना पूरा कर्ज पटा देता है तभी आने वाले समय में इन किसानों को बिना ब्याज पर कर्ज की राशि दी जाएगी। पिछले वर्ष की बात की जाए तो 11 हजार किसान ऐसे हैं जो तकरीबन 90 करोड़ कर्ज नहीं पटाए हैं। जिन्हें नोटिस भेजने की प्रक्रिया जिला सहकारी बैंक के द्वारा की जा रही है।