टीकम पिपरिया
BALOD. लोकसभा क्षेत्र कांकेर के लिए टिकट के मामले में बालोद जिले की दावेदारी इस बार यूं ही नहीं मजबूत मानी जा रही है। इसके कई कारण है, पिछले लेख में हमने आपको बताया था कि किस तरह से बालोद जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस लगातार तीन बार से जीत रही है। इस बार के चुनाव के आंकड़े देखें तो कांकेर लोकसभा क्षेत्र के पूरे आठ विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर कांग्रेस 80,000 वोट से आगे रही है। इसमें 65,000 मत तो बालोद जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र का ही है। इससे साफ जाहिर है जिले की जनता व कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस का भरपूर साथ दिया है। अब कार्यकर्ताओं और जिले के लोगों को इनाम देने की बारी कांग्रेस की है।
विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव की चर्चा शुरू हो गई है। कांकेर लोकसभा क्षेत्र जो कि आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है, इस क्षेत्र के लिए टिकट को लेकर दावों की चर्चा चल रही है। किसी भी लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में उसके अंदर आने वाले विधानसभा क्षेत्रों से मिले मतों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। राजनीतिकार बताते हैं कि विधानसभा क्षेत्रों में मिले मतों के अनुसार कांग्रेस और भाजपा दोनों लोकसभा के लिए अपनी रणनीति बनाती है। न केवल टिकट देने के लिए बल्कि लोगों तक अपनी बातें पहुंचाने के लिए आगे की रणनीति बनाते हैं। उन क्षेत्रों पर जोर लगाते हैं जहां उन्हें कम मत मिले है। साथ ही जहां ज्यादा मत मिले रहते हैं वहां के कार्यकर्ताओं को और अधिक उत्साहित करने की कोशिश करते हैं, ताकि विधानसभा में मिले मत से ज्यादा मत लोकसभा के समय मिल सके। इसी तारतम्य में कांकेर लोकसभा क्षेत्र से टिकट को लेकर बालोद जिले की दावेदारी की बात भी छिड़ जाती है। इस बार हुए चुनाव में भी जिले के लोगों ने कांग्रेस का साथ दिया है, जो पिछले लगातार तीन विधानसभा चुनाव में दे रहे हैं। इस उम्मीद के साथ कि लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में टिकट के मामले में कांग्रेस बालोद जिले की ओर अपनी नजरे इनायत करेगी। हर बार असफलता हाथ लगी है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार कांग्रेस हाई कमान में इसकी चर्चा जरूर है। बालोद जिले के वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ता अपनी बात ऊपर तक पहुंचाने में जुट गए हैं।
जीत का सबसे बड़ा अंतर बालोद जिले में
बीते विधानसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सभी आठों विधानसभा क्षेत्र में जीत का सबसे बड़ा अंतर बालोद जिले में रहा है। वह भी आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट में। बालोद जिले के विधानसभा क्षेत्र डाउंडीलोहारा में कांग्रेस की प्रत्याशी अनिला भेड़िया ने सर्वाधिक 33,579 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है, जो कि पूरे कांकेर लोकसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा अंतर है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी डाउंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को 11370 मत भाजपा से अधिक मिले थे। इसके अलावा इस बार बालोद से 17046 और गुंडरदेही से 14,863 मतों के बड़े अंतर से भी लोगों ने कांग्रेस का साथ दिया है। यह दोनों अंतर भले ही पिछले बार से कम हुए हैं लेकिन इस बार सत्ता परिवर्तन की लहर में भी इतने मतों के अंतर को काफी माना जा रहा है। इस तरह तीनों विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर 65, 488 मत भाजपा की तुलना में ज्यादा मिले हैं। जबकि पूरे कांकेर लोकसभा में कांग्रेस कुल 80,000 मतों से आगे रही है। यह आंकड़े बता रहे हैं कि पूरे कांकेर लोकसभा क्षेत्र में बालोद जिले में कांग्रेस कितनी मजबूत है।
पिछली हार सिर्फ 5000 मतों से हुई थी
कांकेर लोकसभा क्षेत्र के पिछले बार के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। कांग्रेस के प्रत्याशी केवल 5000 वोट से पीछे रहे। पिछली बार भी बालोद जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को काफी मत मिले थे। कांकेर के आठों विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मत कांग्रेस को बालोद जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र से मिले थे। इस तरह बालोद जिले के मतदाता लगातार लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस को काफी मजबूती दे रहे हैं।
ईमानदारी से प्रक्रिया का पालन करें तो बालोद जिला को कांग्रेस की टिकट मिलना तय
कहते हैं कि राजनीति में सब कुछ जायज है, अक्सर यह शिकायत रहती है कि ऊपर बैठे लोग टिकट देने के मामले में अपने स्वार्थ का ज्यादा उपयोग करते हैं और न वे सर्वे रिपोर्ट को देखते हैं और न कार्यकर्ताओं की सक्रियता को और अपने पसंद के व्यक्ति को सीधे टिकट दे देते हैं, जबकि टिकट देने के पहले सारी प्रक्रिया अपनाई जाती है। बाकायदा सर्वे कराते हैं, एलआईबी रिपोर्ट देखते हैं, कांग्रेस के बड़े-बड़े कार्यकर्ताओं से राय मशविरा भी करते हैं, लेकिन यह सब केवल कागजी कार्रवाई तक सिमट कर रह जाती है। इसीलिए माना जा रहा है कि इस बार यदि इन सब सारी प्रक्रियाओं पर कांग्रेस हाई कमान गौर करेगा तो बालोद जिले को टिकट मिलना तय है, क्योंकि सारे आंकड़े बालोद जिला के पक्ष में ही जा रहे हैं।