बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि भारत वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) को खत्म करने के कगार पर है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस लड़ाई को जीतने के लिए प्रतिबद्ध है। अभियान का नया खाका अमित शाह की इसी योजना का हिस्सा है
गृह मंत्री ने एक दिसंबर को कहा था, ‘बीएसएफ, सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) और आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) जैसे बल एलडब्ल्यूई (वामपंथी उग्रवाद) के खिलाफ आखिरी प्रहार कर रहे है। हम देश में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में छह नए सीओबी या ‘कंपनी ऑपरेटिंग बेस’ बनाने का निर्देश दिया गया है, जिसके तहत शुरुआत में ओडिशा के मलकानगिरी में स्थित एक बटालियन को अंतर-राज्यीय सीमा के दूसरी ओर ले जाया जाएगा। बीएसएफ की एक बटालियन में 1,000 से अधिक कर्मी होते हैं।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की छत्तीसगढ़ के नारायणपुर, राजनांदगांव और कोंडागांव जिलों में वर्तमान में लगभग आठ बटालियन हैं। आईटीबीपी को अबूझमाड़ के और भीतरी इलाके में एक इकाई भेजने के लिए कहा गया है। यह नारायणपुर जिले में लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र है और सशस्त्र नक्सली काडर का गढ़ माना जाता है।
अबूझमाड़ के लगभग 237 गांवों में करीब 35,000 लोग रहते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में आदिवासी हैं। वर्तमान में, इस क्षेत्र में कोई स्थायी केंद्रीय या राज्य पुलिस बेस नहीं है और बताया जा रहा है कि सशस्त्र माओवादी काडर राज्य के दक्षिण बस्तर क्षेत्र में छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा के पार से यहां आकर अपनी गतिविधियां को चला रहे हैं और प्रशिक्षण ले रहे हैं। बस्तर क्षेत्र में दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर से लेकर नारायणपुर और कोंडागांव और कांकेर जिले शामिल हैं। यह क्षेत्र वह आखिरी गढ़ है जहां माओवादियों के पास कुछ ताकत है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा बल माओवादी नेटवर्क को ध्वस्त करने और क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए यहां अपनी ताकत को बढ़ा रहे हैं और बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं ताकि राज्य सरकार विकास कार्य शुरू कर सके। उन्होंने कहा कि बाद में बीएसएफ और आईटीबीपी की दो-दो और बटालियन को दक्षिण बस्तर के पास छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर भेजा जाएगा।