GARIYABAND. करीब एक दशक पहले शिक्षा कर्मियों की भर्ती में किस तरह से भ्रष्टाचार हुआ था उसकी प्रति अब एक-एक कर खुलने लगी है। शिक्षा कर्मी के लिए अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाण पत्र और डॉक्यूमेंट के आधार पर न सिर्फ शिक्षा कर्मी तक ही सीमित रहे बल्कि वह समय के साथ ही नियमित शिक्षक के तौर पर भी नियुक्ति पाने में सफल हो गए ऐसे ही मामले में खुलासा होने के बाद कोर्ट ने बड़ी कार्यवाही की है और 11 शिक्षकों को तीन-तीन साल की सजा के अलावा जुर्माना भी ठोका है।
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही सभी विभाग अलर्ट मोड पर है और लगातर कार्रवाई कर रहे हैं। भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही प्रदेश में फर्जीवाड़ा करने वालों के साथ साथ अवैध काम करने वालों के खिलाफ लगातर एक्शन लिया जा रहा है। इसी कड़ी में गरियाबंद जिले में शिक्षाकर्मियों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया गया है।
प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट प्रशांत कुमार देवांगन ने फैसला सुनाते हुए 11 शिक्षाकर्मियों को 3-3 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ मजिस्ट्रेट प्रशांत कुमार ने सभी आरोपियों पर 1-1 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि, प्रार्थी कृष्ण कुमार ने मैनपुर थाने में FIR दर्ज करवाई थी कि 2008-9 में शिक्षाकर्मी चयन के दौरान कुछ लोगों ने फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल की थी। इस मामले में शिकायत होने के बाद जांच की गई तो उसमे पाया गया कि, शिकायत सही है और 11 शिक्षाकर्मी B.ED, D.ED के फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी कर रहे थे। इसके बाद प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट प्रशांत कुमार देवांगन ने इस मामले में फैसला सुनाया और सभी आरोपियों को सजा सुनाई है।