RAIPUR. छत्तीसगढ में विधानसा चुनाव का दूसरा और अंतिम चरण आज संपन्न हो गया है। 22 जिलों की 70 विधानसभा सीटों के लिए आज मतदाताओं ने वोट डाले, लेकिन निर्वाचन प्रक्रिया की एक खामी के चलते प्रदेश के सैकड़ों सरकारी कर्मचारी वोट देने से वंचित हो गए। इस मामले को राज्य की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा साहेब कंगाले ने भी गंभीरता से लिया है, और सभी कलेक्टर से रिपोर्ट मंगा कर जांच करने और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की बात कही है।
दरअसल, चुनाव कार्य के लिए जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है, उनके लिए दो आदेश जारी होते हैं, पहले आदेश के तहत चयनित कर्मचारियों को ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता है। फिर दूसरे आदेश के जरिए उन्हें कार्य आवंटित किए जाते हैं, इस बार हुआ ये कि जब पहले आदेश में सभी कर्मचारियों को ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया, तो उसी दौरान उनके नाम का डाक मतपत्र भी जारी कर दिया गया।
लेकिन पहले आदेश के बाद सैकड़ों कर्मचारियों ने स्वास्थ आधार पर चुनाव ड्यूटी से अलग होने का आवेदन किया, और निर्वाचन आयोग के नियम, निर्देश के आधार पर उन्हें चुनाव ड्यूटी से मुक्त भी कर दिया गया, लेकिन उनके नाम से पहले जो डाक मतपत्र जारी हुआ, उसमें संशोधन नहीं किया गया, नतीजा ये हुआ कि चुनाव ड्यूटी से मुक्त हुए कर्मचारी डाक मतपत्र से वोट नहीं कर पाए और जब वो बूथ पर वोट डालने पहुंचे तो उन्हें ये कहकर लौटा दिया गया कि उनके नाम से डाकमत पत्र जारी हो चुका है।
कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी चंद्रशेखर तिवारी ने इसकी शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी से भी की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। अब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने जांच कराने की बात कही है। आज निर्वाचन आयोग की शाम की प्रेस कांफ्रेस में सबसे आखिरी सवाल यही था, उसमें उन्होने कहा है- सभी जिला कलेक्टरों से रिपोर्ट मंगाई जाएगी, उसकी जांच कराएंगे और दोषी मिलता है कोई तो कार्रवाई होगी।