क्यों इज़रायली प्रधानमंत्री आयरन लेडी गोल्डा मायर ने अपने ही देश के ओलंपिक खिलाड़ियों को मरवा दिया था?
क्या पूरी गाज़ा पट्टी कब्रिस्तान में तब्दील हो जाएगी?
ATUL MALAVIYA. जब नेतन्याहू कहते हैं कि जहां हजारों बलिदान हुए वहां कुछ सौ और सही तब यकीन मानिए वे कोई खोखली बात नहीं कर रहे। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक के दौरान जब फिलिस्तीन लिबरेशन आर्गेनाइजेशन के आतंकी संगठन “ब्लैक सेप्टेंबर” ने ओलंपिक विलेज में ठहरे 9 इज़रायली खिलाड़ियों को बंधक बनाकर उन्हें मार डालने की धमकी देते हुए इज़रायल को अपने 234 कैदियों को छुड़ाने के लिए ब्लैकमेल किया तब जानते हैं गोल्डा मायर ने जर्मन पुलिस और अधिकारियों को क्या कहा? जिस बिल्डिंग में आतंकवादी अब्दुल लफीफ़ और अन्य ने हमारे खिलाड़ियों को बंधक बनाया है उसे मोर्टार दागते हुए ढेर कर दो। भले ही हमारे 9 बच्चे शहीद हो जाएं, 234 दुर्दांत आतंकवादी कैदियों को छोड़कर हम लाखों यहूदियों का भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते।
यही हुआ। ब्लैक सेप्टेंबर के आतंकवादियों के वध के साथ ही इज़रायल के सारे खिलाड़ी शहीद हुए। बाद में जिस तरह गोल्डा मायर के निर्देश पर दुनिया के सबसे खतरनाक माने जाने वाले इज़रायली गुप्तचर संगठन “मोसाद” ने ब्लैक सेप्टेंबर के सैकड़ों सदस्य आतंकवादियों को दुनिया के कोने कोने से खोजकर खत्म किया, वह एक अनूठी मिसाल बन गया। मोसाद जिसे मारती उसे एक रात पहले ही गुलाब का फूल भेजकर संदेश देती कि बच सकते हो तो बचकर दिखाओ, कल का दिन तुम्हारे जीवन का आखिरी दिन होगा। छः महीने के अंदर ही फिलिस्तीनी आतंकी संगठन “ब्लैक सेप्टेंबर” का नामोनिशान इस दुनिया से मिट गया।
वर्षों से आर्थिक प्रगति और संपन्नता की ओर बढ़ रहे इज़रायल और इसके निवासियों की लड़ाका प्रवृत्ति वाली तलवार पर जैसे जंग लगता जा रहा था, लोग धीरे धीरे आराम पसंद होने लगे थे। हाल ही में हुआ हमास का हमला जिसमें इज़रायल के गाज़ा पट्टी से सटे एक बड़े इलाके पर न सिर्फ हमास ने कब्जा कर लिया बल्कि वहां कत्ल ए आम, तबाही और निर्ममता का ऐसा मंजर मचाया कि पूरी दुनिया हक्का बक्का रह गई, इज़रायल को जगाने का काम करेगा। इज़रायल की ताकत और संप्रभुता को विगत एक दशक में इससे बड़ी चुनौती शायद ही और कोई मिली हो।
अब आगे क्या किया जाए? मोसाद की इस इंटेलिजेंस असफलता ने मोसाद को पहली बार कटघरे में खड़ा कर दिया। लेकिन जैसा कि इज़रायल के जानकार जानते हैं, संकट की इस घड़ी में पूरा देश एकजुट हो गया और आननफानन में हमास को खदेड़ दिया गया। इसमें कोई दो राय नहीं कि अगले लगभग दस दिन गाज़ा पट्टी के फिलिस्तीनियों पर इज़रायल का वो कहर बरपाया जाने वाला है जिससे दुनिया कांप उठेगी।
हमास का अंत भी उसी तरह सुनिश्चित है जिस प्रकार ब्लैक सेप्टेंबर का हुआ था। बस पूरी दुनिया के लिए घोर चिंता की बात है, ईरान। कहीं गाज़ा पट्टी और फिलिस्तीन पर इज़रायल का कहर, उसकी बदले की कार्रवाई में हुई इंतेहा ईरान को न्यूक्लियर ताकत का इस्तेमाल करने को मजबूर न कर दे। आपको याद होगा और मैंने इस विषय में लिखा भी था कि कैसे मोसाद ने इज़रायल में बैठे बैठे हाईटेक तकनीक का प्रयोग करते हुए ईरानी परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख फखरीजादे की कार को रिमोट से उड़ाकर उन्हें तेहरान में मार डाला था। ईरान ने तब पार्लियामेंट में मोसाद को खत्म करने और फखरीजादे की हत्या का बदला लेने की कसम खाई थी।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)