NEW DELHI. चंद्रयान की अभूतपूर्व सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO अंतरिक्ष की दुनिया में एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भारतीय स्पेस एजेंसी पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की दिशा में ‘गगनयान’ को 21 अक्टूबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च करने जा रहा है। अंतरिक्ष में जाने के बाद इसकी लैंडिंग बंगाल की खाड़ी में कराई जाएगी।
इसके लिए नौसेना ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। अगर ये मिशन सफल हो जाता है, तो मानवयुक्त प्रक्षेपण से पहले अगले साल यानी 2024 में एक महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री व्योममित्र को परीक्षण के तौर पर भेजा जाएगा। यदि वह परीक्षण भी सफल हो जाता है, तो भारत के मैनमेड मिशन का रास्ता साफ हो जाएगा। जाहिर है कि यह भारत के स्पेस टूरिज्म के क्षेत्र में भारत की बड़ी छलांग साबित होगी।
इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 400 किमी की ऊंचाई में कक्षा में ले जाया जाएगा। इसके बाद भारतीय समुद्री सतह पर उतारकर पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस लाने की यान की क्षमता का आकलन किया जाना है।
गगनयान मिशन को टेस्ट व्हीकल डेवेलपमेंट फ्लाइट (TV-D1) के जरिये भेजा जाएगा। क्रू मॉड्यूल को कई स्टेज में डेवलेप किया गया है। इसमें प्रेशराइज्ड केबिन होगा, ताकि बाहरी वायुमंडल या स्पेस का असर एस्ट्रोनॉट्स पर न पड़े। इस मॉड्यूल की टेस्टिंग के लिए इसरो ने सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट डेवलप किया है।
इस टेस्ट में क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम होंगे। ये दोनों आवाज की गति से ऊपर जाएंगे और फिर 17 किलोमीटर की ऊंचाई से एबॉर्ट सिक्वेंस शुरू होगा। अबॉर्ट टेस्ट यानी मिशन के दौरान अगर कोई दिक्कत हो, तो एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल उन्हें सुरक्षित नीचे ले आए। क्रू एस्केप सिस्टम डिप्लॉय होगा, जो पैराशूट के जरिये नीचे आएगा।
क्रू मॉड्यूल के अंदर के हिस्सा में लाइफ सपोर्ट सिस्टम लगा हुआ है। यह उच्च और निम्न तापमान को बर्दाश्त कर सकता और अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष के रेडिएशन से बचाने में सक्षम होगा।