NEW DELHI. हाल ही में चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराने के साथ भारत का परचम अंतरिक्ष की दुनिया में लहराने लगा है। दक्षिणी ध्रुव एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी पहले कभी खोज नहीं की गई थी। चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ही चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर सके थे। अब अंतरिक्ष के क्षेत्र में मिशन गगनयान के जरिये भारत एक और बड़ी छलांग लगाने जा रहा है।
भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO 21 अक्टूबर को इस मिशन को लॉन्च करने जा रही है। अगर ये परीक्षण सफल हो गया तो भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान में सक्षम देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जो अपने आप में एक बड़ी कामयाबी होगी। इस मिशन में धरती से इंसान स्पेस शटल के साथ अंतरिक्ष में जाएंगे और वहां सात दिन बिताने के बाद वापस पृथ्वी पर आएंगे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस तरह के मिशन बहुत जोखिम से भरे होते हैं। भारत ने अभी तक कोई भी मैनमेड मिशन नहीं किया है। अभी तक भारत ने जितने भी स्पेस मिशन लॉन्च किए वो मानव रहित थे। लिहाजा, गगनयान मिशन हाल ही में इसरो द्वारा किए गए मिशन चंद्रयान-3 मिशन से बहुत अलग होगा।
दरअसल, चंद्रयान-3 का पूरा कंट्रोल धरती से ही किया गया था। मगर, गगनयान के साथ ऐसा नहीं होगा। इस स्पेस शटल के अंदर मौजूद अंतरिक्षयात्री करीब सात दिन स्पेस में रिसर्च करेंगे। स्पेस शटल के अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट्स पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर बिताएंगे। इसके बाद उन्हें सुरक्षित तरीके से धरती पर वापस भी लाया जा सकेगा।
काफी समय से हो रहा था इस पर काम
मिशन गगनयान पर इसरो कई साल से काम कर रहा है। हालांकि, बीते कुछ समय से इस पर काम तेज हो गया। एक्सपर्ट्स की मानें, तो अगर ये परीक्षण सफल हुआ तो भारत स्पेस टूरिज्म के मामले में कई देशों से आगे पहुंच जाएगा।