RAIGARH. रायगढ़ जिले की लैलूंगा विधानसभा सीट पर भाजपा ने प्रत्याशी तय कर दिया है। इस सीट पर भाजपा ने पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया की धर्मपत्नी सुनीति राठिया को चुनाव के मैदान में उतारा दिया है। सुनीति राठिया साल 2013 में लैलूंगा सीट से चुनाव जीत चुकी हैं और भाजपा कार्यकाल में संसदीय सचिव भी रही हैं। इधर कांग्रेस से स्थानीय विधायक चक्रधऱ सिदार इस सीट से दूसरी पारी की तैयारी कर रहे हैं। अगर इस सीट पर चक्रधर सिदार चुनावी समर में उतरते हैं तो मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा। इस सीट से आदिवासी वोटों का न सिर्फ बंटवारा होगा, बल्कि स्थानीय विधायक के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी का फैक्टर भी काफी हद तक चुनाव में असरकारी होगा।
रायगढ़ जिले की आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित लैलूंगा विधानसभा सीट पर भाजपा ने इस बार पुराने चेहरे को ही मौका दिया है। इस सीट पर 2013 में विधायक रह चुकी सुनीति राठिया को फिर से प्रत्याशी बनाया गया है। सुनीति राठिया कंवर समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं। इधर कांग्रेस से स्थानीय विधायक चक्रधर सिदार दूसरी पारी की आस में हैं। विधायक चक्रधर सिदार गोंड समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। लैलूंगा सीट पर गोंड और कंवर समाज काफी हद तक तक चुनाव में असर डालते हैं। इस सीट पर कंवर समाज के 25 हजार से अधिक वोटर हैं तो वहीं गोंड समाज के भी 35 हजार से अधिक वोटर हैं। ये दोनों समाज ही हार जीत का फैसला करने वाले हैं।
सुनीति राठिया के चुनावी मैदान में उतरने के बाद भाजपा जीत को लेकर उत्साहित है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्थानीय विधायक चक्रधर सिदार के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी का फैक्टर है जिसे भाजपा भुनाना चाह रही है। भाजपा का कहना है कि रायगढ़ लोकसभा सीट की आठ विधानसभा सीटों में इस बार चार पर महिला प्रत्याशियों को मौका दिया गया है। सभी प्रत्याशी बड़े अनुभवी और सधे हुए चेहरे हैं। ऐसे में इसका लाभ भाजपा को जरुर मिलेगा। वरिष्ठ भाजपा नेताओं के अनुसार भाजपा ने रायगढ़ जिले में जो टिकट बांटी है, बंटने के साथ ही जीत सुनिश्चित है। आठ में से चार सीटों पर चार पर भाजपा ने महिला को टिकट दिया है। चेहरे के दृष्टि से सभी महिलाएं एक्सपीरियेंस्ड हैं…ये कहा जा सकता है कि टिकट वितरण शानदार है। लैलूंगा में सुनीति राठिया अनुभवी व लोकप्रिय चेहरा है इसका फायदा मिलेगा।
हांलाकि राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा ने जिस चेहरे को टिकट दिया है वो पूर्व में विधायक रह चुकी हैं और उनके खिलाफ भी स्थानीय मतदाताओं में नाराजगी रही है, जिसके कारण उन्हें हार का सामना करना पडा था, ऐसे में इस बार भाजपा को जीत के लिए कडी मेहनत करनी होगी। इस सीट पर गोंड समाज के वोटर बडी संख्या में हैं जिनको अपने पक्ष में करना भाजपा के लिए चुनौती से कम नहीं। ऐसे में मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है।
इधर कांग्रेस का कहना है कि स्थानीय विधायक की कार्यशैली और राज्य सरकार की जनहितकारी योजनाओँ की वजह से लैलूंगा सीट में कांग्रेस के पक्ष में बेहतर माहौल है। भाजपा प्रत्याशी पर लगातार परिवाद का आरोप भी लगता रहा है क्योंकि इस सीट पर पिछले पांच चुनाव से एक ही परिवार चुनाव लड़ता रहा है। ऐसे में लोग कांग्रेस के पक्ष में हैं। इस सीट पर कांग्रेस की जीत तय है।