DURG. छत्तीसगढ़ में महीने भर से हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों को सस्पेंड करने का आदेश दिया है। इसके बाद दुर्ग CMHO ने जिले के 205 स्वास्थ्य कर्मचारियों का सस्पेंशन का आदेश भी जारी कर दिया है। बता दें ये वो कर्मचारी हैं, जो महीने भर से काम बंद कर हड़ताल पर हैं। सस्पेंड किए गए सभी स्वास्थ्य कर्मचारी प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ सहित 10 अलग अलग संगठनों के बैनर तले हड़ताल कर रहे थे। इन्हें सबक सिखाने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी हड़ताली स्वास्थ्य कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है।

40 हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मी थे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
छत्तीसगढ़ में पिछले 13 दिन यानि 21 अगस्त से 40 हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे। ये सभी अपने अपने जिलों में अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे। वहीं इनकी हड़ताल को समाप्त करने के लिए ESMA की भी घोषणा की गई थी। इसके बाद भी ये सभी काम पर नहीं लौटे। इन सब के बीच अस्पतालों में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इसे नज़र रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी कर्मचारियों को सस्पेंड करने का आदेश दिया। वहीं स्वास्थ्य कर्मचारियों वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए राज्य के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल में थे। हड़ताल के दौरान इन सभी ने अस्पताल में सेवाओं का बहिष्कार कर दिया था।

कैबिनेट की बैठक में लिया गया फैसला
शनिवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने सभी हड़ताली कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने का प्रस्ताव मंजूर किया है। सरकार के आदेश के बाद प्रदेश के सभी जिलों के CMHO ने अपने अपने जिलों में पदस्थ 1500 से ज्यादा हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। इसमें सबसे ज्यादा कांकेर जिले के 568 कर्मचारी शामिल हैं, तो वहीं जगदलपुर से 296 और दुर्ग जिले के 205 कर्मचारी शामिल हैं।

इन मांगों को लेकर स्वास्थ्यकर्मी थे हड़ताल पर
स्वास्थ्यकर्मी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे हुए थे। इनमें स्वास्थ्य विभाग के ANM, MPW नर्सिंग संवर्ग कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर की जाने की मांग की गई थी। इसके अलावा चिकित्सकों के लंबित वेतनमान, भत्ते एवं स्टाइपेंड प्रदान किए जानें की मांग की गई है। साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा घोषित विशेष कोरोना भत्ता दिए जाने की बात कही गई थी, वहीं अस्पताल में कार्य के दौरान डॉक्टर्स एवं नर्सिंग स्टॉफ के साथ होने वाली हिंसा पर रोक लगाने को लेकर कड़े कदम उठाए जाने जैसी मांगों को लेकर वे हड़ताल पर थे।




































