RAIPUR. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आज यानि 11 अगस्त को आयोजित होने वाला था जो की स्थगित कर दिया गया है।
कार्यपरिषद सदस्य आवेश तिवारी और राजकुमार सोनी द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में इस आयोजन को बेहद ही गुप्त तरीके से आयोजित कर आरएसएस का एजेंडा चलाये जाने का आरोप लगाया गया था। दोनों सदस्यों ने इसका विरोध कर धरना में बैठने की तैयारी भी कर ली थी। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आनन फानन में इस आयोजन को स्थगित कर दिया गया है।
जहां एक ओर मणिपुर हिंसा देश का बड़ा मुद्दा बना हुआ है इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ‘अमृत महोत्सव’ मनाने की तैयारी जोरो पर है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने आज़ादी का अमृत महोत्सव और पत्रकारिता विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी तय कर दी थीं। कार्यपरिषद सदस्यों का यह भी आरोप है कि, इस कॉन्फ्रेंस के जरिए छात्र-छात्राओं का ब्रेनवाश कर गलत विचारधाराओं को आमंत्रित करने की पूरी तैयारी थी।
इस संगोष्ठी में विवादों से घिरे लोगों को आमंत्रित किया गया था। इसमें माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुल सचिव अविनाश बाजपेयी को भी आमंत्रित किया गया था जिनके खिलाफ पंजाब के एक प्रोफ़ेसर आशुतोष मिश्रा की शिकायत के बाद कई स्तरों पर जांच चल रही है। इनके खिलाफ शिक्षा-दीक्षा और पीएचडी में फर्जीवाड़े को लेकर शिकायत दर्ज है। विरोध जताये जाने पर अविनाश बाजपेयी ने अपना छत्तीसगढ़ आने का प्लान ही रद्द कर दिया तो वही दूसरे वक्ता मानस प्रतिम गोस्वामी संगोष्ठी में शामिल होने तमिलनाडु से रायपुर पहुंच चुके थे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामला बिगड़ता देख उन्हें विश्वविद्यालय में हो रही प्रैक्टिकल परीक्षा के काम में लगा दिया।
कार्यपरिषद के सदस्य राजकुमार सोनी और आवेश तिवारी ने इसका विरोध कर विश्वविद्यालय से कुछ सवाल किये जिसका उन्हें अब तक जवाब नहीं दिया गया है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में संघी गैंग विद्यार्थियों के बीच कोई बड़ा खेल खेलना चाहता था . दोनों कार्यपरिषद सदस्य अब भी अपने सवालों पर कायम है तथा विश्वविद्यालय के कुलपति, कुल सचिव, कार्यक्रम संयोजक और आमंत्रित वक्ताओं से मेल अथवा पत्र के माध्यम से जवाब की उम्मीद में है।
कार्यपरिषद के सदस्यों के आरोप व विश्वविद्यालय से पूछे गए सवाल
– छत्तीसगढ़ का एक अखबार पहले तो भाजपा की रीति-नीति और संघी फार्मूले का विरोध करता था और फिर ठीक 2018 में चुनाव से पहले शरणागत हो गया
– कैसे अखबार का संपादक अपने संपादकीय में मोदी मोदी भाई लिखता है और खुलेआम यह शपथ लेता है कि वह जीवन पर्यन्त उनकी चाकरी करता रहेगा ?
– सांप्रदायिक ताकतों का विरोध करने पर व सांप्रदायिकता के खिलाफ लिखने पर पत्रकारों की नौकरी क्यों छीनी गई?
– कोरोना कॉल में कई पत्रकारों को नौकरी से हटा दिया गया. उन्हें भूखों मरने के लिए मजबूर कर दिया गया. क्या उसके बाद भी आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा सकता है?
– मणिपुर सहित देश का अन्य हिस्सा जल रहा है तब आज़ादी का अमृत महोत्सव कैसे मनाया जा सकता है ?
– देश को नफ़रत की आग में झोंकने वाली फ़ासीवादी शक्तियों के खिलाफ उनके द्वारा क्या स्टैंड लिया गया ?