NEW DELHI. छत्तीसगढ़ के बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड.) डिग्री धारकों को अस्थायी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी। इसमें बीएड उम्मीदवारों को सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया से बाहर रखा गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रवीन्द्र श्रीवास्तव ,अधिवक्ता अंशुमान श्रीवास्तव और अधिवक्ता अभिजीत श्रीवास्तव ने पैरवी की।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने देवेश शर्मा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के आधार पर आदेश पारित किया था। इसमें कहा गया था कि बी.एड. उम्मीदवार प्राथमिक विद्यालय शिक्षक के रूप में नियुक्त होने के पात्र नहीं हैं क्योंकि उक्त पद के लिए निर्धारित योग्यता प्रारंभिक शिक्षा में डिप्लोमा (D.Fl.ED.) है।
याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उच्च न्यायालय ने देवेश शर्मा के फैसले की गलत व्याख्या की। याचिकाकर्ताओं ने आगे तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने संभावित ओवर-रूलिंग के सिद्धांत पर विचार किए बिना देवेश शर्मा के फैसले को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू करने में गलती की।
मौजूदा मामले में, 6285 सहायक शिक्षक के पदों को भरने के लिए विज्ञापन 4 मई,2023 को जारी किया गया था। परीक्षा 10 जून, 2023 को आयोजित की गई थी और परिणाम 2 जुलाई,2023 को घोषित किए गए थे और याचिकाकर्ताओं को इसमें शामिल किया गया था। सफल उम्मीदवारों की सूची में शामिल देवेश शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला 11 अगस्त 2023 को सुनाया गया। उसके बाद, कुछ डी.एड. उम्मीदवारों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का रुख किया।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि बी.एड. वाले उम्मीदवारों के संबंध में आगे की भर्ती प्रक्रिया सहायक अध्यापकों के पद हेतु अर्हता तत्काल प्रभाव से स्थगित रखी जायेगी। उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका में असम लोक सेवा आयोग बनाम प्रांजल कुमार (2020) 20 एससीसी 680 के मामले का भी हवाला दिया। जिसमें यह माना गया था कि चयन की प्रक्रिया शुरू होने की तारीख में मौजूदा मानदंड चयन को नियंत्रित करेंगे और मानदंडों में बदलाव से चल रही प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी, जब तक कि नए नियमों को पूर्वव्यापी प्रभाव न दिया जाए।
इन तर्कों के आधार पर, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एएस बोपन्ना और पीके मिश्रा की बेंच ने आदेश दिया
“इस बीच, यह ध्यान में रखते हुए कि भर्ती प्रक्रिया जो प्रगति पर थी, अब 21.08.2023 के विज्ञापन-अंतरिम आदेश से बाधित हो गई है और अंततः उच्च न्यायालय द्वारा जिस पहलू पर विचार किया जाना है वह उस तरीके से संबंधित है जिसमें इस न्यायालय द्वारा 2023 के सी.ए.नं.5068 में पारित निर्णय को माना जाना चाहिए। इस स्तर पर भर्ती प्रक्रिया को बाधित करना उचित नहीं होगा। इसलिए, उक्त सीमा तक, हम उच्च न्यायालय द्वारा पारित दिनांक 21.08.2023 के आदेश पर रोक लगाते हैं और स्पष्ट करते हैं कि भर्ती प्रक्रिया, जो उच्च न्यायालय द्वारा पारित उक्त अंतरिम आदेश की तारीख से पहले प्रक्रिया में थी, जारी रहेगी और हालाँकि, नियुक्तियाँ, यदि कोई हो तो, डब्ल्यू.पी.एस. में उच्च न्यायालय द्वारा किए जाने वाले विचार के परिणाम के अधीन रहेंगी। चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा इसकी सूचना दी जाएगी।”