RAIPUR. प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे का बड़ा बयान आया है। एक तरफ जहां प्रदेश में हजारों अनियमित कर्मचारियों की हड़ताल जारी है, वहीं दूसरी तरफ मामले में मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि अनियमित कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई है, मंत्रिमंडल स्तर पर चर्चा हुई है। जल्द निर्णय होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि 15 अगस्त से पहले 9 हजार शिक्षकों की भर्ती होगी।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के 54 विभाग में काम करने वाले 45000 से ज्यादा संविदा कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है । पिछले 25 दिनों से प्रदेश भर के हजारों संविदा कर्मचारी राजधानी रायपुर में इकट्ठा होकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं इनकी सिर्फ एक मांग है नियमितीकरण। महिला कर्मचारी अपने दूध पीते बच्चे को लेकर तिलमिला देने वाली धूप में रैली निकाल रही है, जो ठीक से चल नहीं पाते वह दिव्यांग कर्मचारी भी प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार तक मांग पहुंचे इसलिए कर्मचारी कभी दंडवत रैली निकालते हैं तो कभी जेल भरो आंदोलन करते हैं। कभी विधानसभा घेराव का ऐलान होता है तो कभी मंत्रालय कूच करने की। इन सारी कवायद के पीछे बस एक मांग खड़ी है । सरकार ने 2018 में इन्हे नियमित करने का वादा किया था, वह वादा निभाए।
बता दें कि नियमितीकरण की मांग के चलते मनरेगा के 12 हजार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 13000, विद्युत विभाग के 5 हजार से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर हैं, दर्जनों विभाग के सैकड़ों कर्मचारी भी इसमें शामिल हैे। इनकी हड़ताल से आम जनता परेशान हैं लेकिन सरकार को सुध लेने की फुर्सत नहीं है। 25 दिनों की हड़ताल में एक बार भी इन से बातचीत की पहल नहीं की गई। दिखाने के लिए तो एस्मा जैसे सख्त आदेश भी जारी हुए लेकिन आदेश जारी कर उसे खुद सरकार लागू नहीं करवा सके।
सवाल तो यह भी खड़ा होता है कि जब और नियमित और संविदा कर्मचारियों की भर्ती अस्थाई तौर पर होती है तो फिर नियमितीकरण की आग लगती क्यों है। कर्मचारी संगठन इसकी मांग शुरू क्यों करते हैं। इसका जवाब है सरकार और राजनीतिक पार्टियों का अपना स्वार्थ कम पैसे पर काम कराने की लालच में कर्मचारी संविदा और ठेके पर रखे जाते हैं फिर जब तादाद बड़ी हो जाती है तो नियमितीकरण की मांग शुरू हो जाती है वोट बैंक की लालसा में राजनीतिक पार्टियां इसे सपोर्ट करती है और फिर शुरू होता है धरना प्रदर्शन का सिलसिला।
अभी जो संविदा कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है इसके पीछे भी 2018 के कांग्रेस का घोषणा पत्र है। इसमें इन सभी को नियमित करने का वादा किया गया था। पर सबसे बड़ा सवाल यही है की लगातार चलने वाली इनके आंदोलन धरना प्रदर्शन और अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते जनता का जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई कौन करेगा।