LONDON. इंसान की मौत के बाद उसके शव को या तो जला दिया जाता है या दफन कर दिया जाता है। मगर, अब जल्द ही शवों का वाटर क्रिमेशन भी किया जाने लगेगा। इसकी तैयारी ब्रिटेन में चल रही है, जिसमें शवों का अंतिम संस्कार पानी के अंदर किया जाएगा। ब्रिटेन की सबसे बड़ी फ्यूनरल कंपनी को-ऑप फ्यूनरलकेयर इस पहल को करने जा रही है।

कंपनी की ओर से कहा गया है कि इस सेवा को साल के अंत तक शुरू कर दिया जाएगा। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस नए तरीके से शवों का अंतिम संस्कार कैसे होगा। उनकी अस्थियां कैसे और कब मिलेंगी। कंपनी का कहना है कि वाटर क्रिमेशन के जरिए लोगों को पर्यावरण के अनुकुल दाह संस्कार का विकल्प मिलेगा।

एक्वामेशन प्रक्रिया के दौरान शव को स्टेनलेस स्टील के बॉक्स में क्षार मिलाकर रखा जाता है। शव के वजन, लिंग के आधार पर इस क्षार की मात्रा तय की जाती है। इसके बाद इस घोल को 200-300°F तक गर्म किया जाता है। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद हड्डियां बचती हैं, जिन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है।

बाद में हड्डियां को सुखाकर सफेद पाउडर बनाने के बाद कलश में डालकर रिश्तेदारों को लौटाया जा सकता है। शव के दाह संस्कार के समय में भी आखिरी में ये ही होता है। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी अटलांटिक के अनुसार, दाह संस्कार के पर्यावरणीय प्रभाव का लगभग दसवां हिस्सा वाटर क्रिमेशन में निकलता है। दाह संस्कार के लिए काफी ईधन की जरूरत होती है और इससे पर्यावरण को भी काफी नुकसान होता है। दरअसल, इससे बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसें निकलती हैं। अमेरीकी एजेंसी के मुताबिक, एक दाह संस्कार में लगभग 535 पाउंड कार्बन डाइऑक्साइड पैदा होती है, जो लगभग 600 मील कार चलाने के बराबर है।

वहीं, शवों को दफनाने से भूजल दूषित होने का खतरा होता है। साथ ही कब्रगाह के लिए जगह की कमी की भी कई बार समस्या होती है। अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका में वाटर क्रिमेशन काफी लोकप्रिय है।


































