BASTAR. मणिपुर हिंसा को लेकर नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी करके इस घटना की निंदा की है और भाजपा सरकार पर कई प्रकार के आरोप भी लगाए हैं। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की ओर से जारी किए गए प्रेस नोट में कहा गया है कि इस नरसंहार की नैतिक जिम्मेदारी लेकर मणिपुर मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह के इस्तीफा देने तक आंदोलन करें।
नक्सलियों के द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट में कहा गया है कि पिछले 80 दिनों पहले 4 मई को कांगफोस्के जिले के फैकोम गांव में कुकी मूल निवासियों पर मैतेई बंदूकधारी लाइसेंसी गुंडों ने हमला कर मूल निवासियों का नरसंहार किया, उनके घरों को जलाकर राख कर दिया इन हरकतों के कारण भयभीत होकर लोग अपनी जान बचाने जंगलों में भाग रहे थे, इसी दौरान दो महिलाओं को पुलिस ने ही पकड़ कर गुंडों के हवाले कर दिया इसके बाद उन पर सामूहिक अत्याचार किया। विरोध किए जाने पर इन महिलाओं से एक महिला के पिता और छोटे भाई की अमानवीय तरीके से हत्या कर दिया गया, इन हरकतों को माओवादी के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो कड़ी शब्दों में निंदा करती है।
इसके साथ ही इस प्रेस नोट में कहा गया है कि भाजपा राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित लाइसेंसी गुंडों ने दोनों महिलाओं को निर्वस्त्र कर पैशाचिक जुलूस निकाला। केंद्र—राज्य बीजेपी डबल इंजन की सरकार ब्राह्मणीय, हिंदुत्व, फासीवादी नीतियों का नतीजा ही मणिपुर के दर्दनाक स्थिति का कारण है, पिछले 3 महीनों में मणिपुर में मूल निवासी आम लोगों के ऊपर होने वाली हिंसा जुल्म मणिपुर प्रशासन की मदद से ही इनका रक्तपात हो रहा है। मणिपुर में 54% मैतेई एवं अन्य जनता रहते हैं, 40% कुकी, नगा एवं 30% के ऊपर अन्य जनजाति निवास करते हैं।
2017 में बीजेपी सत्ता में आते ही उनके हिंदुत्ववादी एजेंडा के अंतर्गत जनसंख्या में अधिक संख्या में रहने वाले लोगों के समर्थन में सरकार खड़ी है, कुकी एवं अन्य मूलनिवासी जनता को राजनीतिक आर्थिक सांस्कृतिक रूप से सरकारे शोषण कर रही हैं। मैदानी इलाकों में रहने वाले कई लोगों को जंगल पहाड़ों में जीवन यापन करने वाले मूल वासियों के बीच में आर्थिक असंतुलन सभी क्षेत्रों में मौजूद है। पीढ़ी दर पीढ़ी से मणिपुर की धरती पर रह रहे अन्य मूलवासी जनता को बड़े पैमाने पर घुसपैठिया, आक्रमणकारी, तस्करों का ठप्पा लगाकर झूठा प्रचार किए हैं। बीजेपी सरकार और दो कदम आगे बढ़कर मैतेई को जनजाति श्रेणी में लाकर एनआरसी को लागू करने का फरमान जारी कर दिया है। जल जंगल जमीन अधिकार मूल आदिवासियों का है। इसके साथ ही नक्सलियों ने अन्य बातें भी अपने प्रेस नोट में कही है जिसे आप नीचे देख सकते हैं।