DURG. 20 जुलाई से 23 जुलाई तक राजनांदगांव बाईपास टोल प्लाजा अग्रसेन भवन में तीन दिवसीय टीसीबीटी कृषि तकनीक का प्रशिक्षण शिवीर होने जा रहा है। शिवीर में प्राकृतिक खेती की तकनीक समझाई जाएगी। टीसीबीटी कृषि भारत की सबसे प्राचीन कृषि तकनीक है, जो कि भारत की मूल विरासत है। इस तकनीक का पूरा नाम ‘ताराचंद बेलजी तकनीक’ है।
आज कल रासायनिक खेती होने के कारण टीसीबीटी तकनीक भारत देश में विलुप्त हो चुकी है। इस तकनीक को अपनाकर किसान जहरीले रसायनों से मुक्त बेहतर फसल उत्पादन कर सकता हैं। प्राचीन भारतीय दर्शन में “पंच महाभूत” की अवधारणा है, जिसके अंतर्गत प्रकृति पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष जैसे पंच तत्व आधारित है। टीसीबीटी कृषि तकनीक भी प्रकृति के ऊर्जा, विज्ञान और पंचमहाभूतों की विज्ञान प्रणाली है। टीसीबीटी कृषि तकनीक से चरण-दर-चरण प्रक्रिया में जमीन, आकाश, वायु, अग्नि और जल तत्वों पर काम करते हुए, उत्कृष्ट और उत्तम फसल को उत्पादन किया जा सकता है।
क्या है टीसीबीटी कृषि तकनीक
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डॉ. नरेंद्र दीक्षित ने बताया कि टीसीबीटी कृषि तकनीक बिना जुताई, बिना निंदाई, बिना गुड़ाई, वाली मूल प्राकृतिक खेती की दिशा में जाने के लिए प्रेरित करती है, जिसकी अग्रिम कड़ी में अग्निहोत्र के द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने और पंच महाभूत के प्रभाव से खेती में बेहतर परिणाम हासिल होते हैं, जिसमें एक तरफ तो फसलों में बीमारी नहीं आती है, वहीं दूसरी तरफ खरपतवार भी कम उगते हैं।
डॉ. दीक्षित ने बताया कि टीसीबीटी तकनीक के प्रशिक्षण हेतु छत्तीसगढ़ प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों के अलावा अन्य राज्यों के किसान भी इस प्रशिक्षण में बड़ी संख्या में पहुंचेंगे। प्रशिक्षण हेतु रजिस्ट्रेशन प्रारंभ हो चुका है। वैदिक आधार पर होने वाली टीसीबीटी तकनीक की खेती को सिखाने हेतु लगाए जा रहे इस आवासीय प्रशिक्षण में टीसीबीटी तकनीक से जुड़े प्रसिद्ध और अनुभवी जानकार एवं विशेषज्ञ प्रशिक्षु किसानों को पूरा प्रशिक्षण देते हुए जिज्ञासा समाधान भी करेंगे। इस तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में रुचि रखने वाले किसान मोबाइल नंबर 9301580060 एवं 9303834259 पर कॉल करके अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।