NEW DELHI. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में एक रैली में समान नागरिक संहिता (UCC) पर अपना रुख साफ कर दिया। साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले UCC की चर्चा छेड़कर नई चर्चा शुरू कर दी है। केंद्र ने कहा कि विभिन्न धर्म और संप्रदायों के लोगों के लिए अलग-अलग संपत्ति और वैवाहिक कानूनों का होना देश की एकता के लिए अच्छा नहीं है।
आम आदमी पार्टी ने भी इसे समर्थन दे दिया है। वहीं, डीएमके, जेडीयू, आरजेडी, लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल यूसीसी को लेकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं। बीजेपी को मुस्लिम समुदायों और विपक्षी दलों से यूनिफॉर्म सिविल कोड के मजबूत विरोध को लेकर राजनीतिक रूप से लाभ होने की भी उम्मीद है। यह अलग-अलग धर्म, लिंग या जाति के बावजूद सभी भारतीयों पर एक समान रूप से लागू होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड में शादी, तलाक, बच्चे को गोद लेने और विरासत जैसे पारिवारिक मामलों पर बहुत प्रावधान हैं। मुस्लिम समुदाय खासतौर पर इसका विरोध कर रहा है। वह मुस्लिम पर्सनल लॉ को हटाए जाने के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट कई मौकों पर कह चुका है यह बात
संविधान में एक समान कानून की परिकल्पना की थी, जो देश में हर व्यक्ति पर समान रूप से लागू होगा। इसके बारे में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में बताया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर कहा है कि धार्मिक ग्रंथों से प्राप्त व्यक्तिगत कानून संविधान के मुताबिक होने चाहिए और ये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।
अभी की प्रक्रिया क्या है?
विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर राय मांगी है. विधि आयोग जल्द ही अपनी सिफारिशें पेश करेगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संविधान राज्य को अपने नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए बाध्य करता है.
राज्यसभा में नहीं है बहुमत, बिल का क्या होगा?
समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग को अब तक साढ़े आठ लाख से अधिक सुझाव मिले हैं। मगर, सवाल यह है कि क्या राज्य सभा में बहुमत नहीं होने के बाद भी क्या सरकार समान नागरिक संहिता के बिल को पास करा सकती है। इसका जवाब है कि तीन तलाक और अनुच्छेद 370 खत्म करने जैसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद बिल राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के बावजूद सरकार पास करा चुकी है। लिहाजा, यदि सरकार चाहे, तो वह राज्यसभा में इस बिल को भी पारित करा सकती है।
यह कहते हैं राज्यसभा के आंकड़े
245 सदस्यों की राज्यसभा में अभी 237 सदस्य हैं और इस तरह से किसी बिल को पास कराने के लिए बहुमत का आंकड़ा 119 है। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास अभी 109 सांसद हैं। यानी बहुमत से 10 सदस्य कम हैं। राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के 10 सांसद हैं और वह पहले ही इस बिल को समर्थन दे चुकी है।
ऐसे में बीजेपी बहुमत के आंकड़े को आसानी से पा सकती है। बताते चलें कि 24 जुलाई को राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं। इसमें बीजेपी को गुजरात से 3 और गोवा से एक सीट मिलना तय है। वहीं, पश्चिम बंगाल से भी पहली बार बीजेपी को राज्य सभा की एक सीट मिलेगी। ऐसे में स्थिति भाजपा के पक्ष में बेहतर होती दिख रही है।