NEW DELHI. सभी प्रारूपों में रिकॉर्ड 100 शतक लगाने वाले सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट के भगवान के रूप में जाना जाता है और उन्हें पूरे देश से प्यार मिला है. सचिन तेंदुलकर का सभी प्रारूपों में 34,357 रन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड है. सचिन खेल में अपनी उपलब्धियों के आधार पर अमरता पाने का मजबूत दावा पेश कर सकते हैं. 2011 में सचिन तेंदुलकर ने आखिरकार अपना पहला विश्व कप जीता. 37 साल की उम्र में भी रनों के लिए उनकी भूख कम नहीं थी, वह 482 रनों के साथ टूर्नामेंट में भारत के प्रमुख रन-स्कोरर रहे. सचिन ने 2012 में वनडे से संन्यास ले लिया. उन्होंने अपने अंतिम मैच से पहले मैच में अपना 100वां शतक बनाया. उनका अंतिम टेस्ट नवंबर 2013 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ था. इस प्रारूप में उनका यह 200वां मैच रहा. 24 साल के अंतर्राष्ट्रीय करियर में सचिन ने बल्लेबाजी के हर बड़े रिकॉर्ड को तोड़ा. सचिन के 50वें जन्मदिन 24 अप्रैल से पहले जानते हैं क्रिकेट के सभी प्रारूपों में पांच यादगार पारियों को.
119* बनाम इंग्लैंड, ओल्ड ट्रैफर्ड (1990)
शांत पिच पर इंग्लैंड ने पहली पारी में 519 रन बनाए, जिसके जवाब में भारत ने 432 रन बनाए. इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी 320/4 के स्कोर पर घोषित कर दी. भारत के सामने 408 रन का लक्ष्य था. इतने बड़े लक्ष्य का पीछा करना आसान नहीं रहता है. भारत के साथ भी ऐसा ही हुआ. नियमित अंतराल पर विकेट गिरते चले गए. भारत दूसरी पारी में पांच विकेट पर 127 रन बनाकर संघर्ष कर रहा था, तब 17 साल की छोटी उम्र में सचिन ने दृढ़ संकल्प और लचीलापन दिखाया. उन्होंने लगभग चार घंटे तक बल्लेबाजी की और नाबाद 119 रन बनाए इस तरह उन्होंने मैच ड्रॉ करवाने में अहम भूमिका निभाई. वह मैच भी जीत सकते थे. अगर उनके पास खेलने के लिए एक और सत्र होता.
143 बनाम ऑस्ट्रेलिया, शारजाह (1998)
‘डेजर्ट स्टॉर्म’ के रूप में जानी गई सचिन की ताबड़तोड़ पारी ने उल्लेखनीय प्रदर्शन की सभी विशेषताओं को प्रदर्शित किया. शेन वार्न, डेमियन फ्लेमिंग और माइकल कास्प्रोविच सहित मजबूत आक्रमण का सामना करने के बावजूद सचिन ने शानदार बल्लेबाजी की. हालांकि उन्हें इस पारी में अपने साथी बल्लेबाजों से बहुत कम साथ मिला. सचिन ने 131 गेंदों पर 143 रनों की तूफानी पारी खेली. सचिन ने इस यादगार पारी में नौ चौके और पांच छक्के लगाए थे. हालांकि सचिन की दमदार पारी के दम पर भी भारतीय टीम मैच हार गई. 285 रनों के टारगेट का पीछा कर रही भारतीय टीम 276 रन ही बना पाई, लेकिन नेट रन-रेट के दम पर उसने यूजीलैंड से आगे फाइनल में जगह बना ली. ‘डेजर्ट स्टॉर्म’ उपनाम इस तथ्य से आया कि रेत के तूफान ने खेल को बाधित कर दिया था, लेकिन तूफान के थमने के बाद सचिन नाम का तूफान आया.
146 बनाम दक्षिण अफ्रीका, केप टाउन (2011)
केपटाउन टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के पहली पारी में 362 रन बनाने के बाद, भारत अपनी पहली पारी में 28 रनों पर 2 विकेट गवां चुका था. भारत देश में अपनी पहली सीरीज जीत के लिए उत्सुक था, लेकिन डेल स्टेन ऐसा होने से रोकने के लिए दृढ़ थे. स्टेन की आक्रामक गेंदबाजी का सामना करने के बावजूद सचिन ने 314 गेंदों की शानदार पारी खेलकर चुनौती का सामना किया. उनके दृढ़ प्रयास ने न केवल भारत को दो रन की बढ़त हासिल करने में मदद की, बल्कि मैच को ड्रॉ में समाप्त करने में भी मदद की.
200 बनाम दक्षिण अफ्रीका, ग्वालियर (2010)
अपने वनडे डेब्यू के 21 साल बाद सचिन ने नया रिकॉर्ड अपना नाम किया. 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने नाबाद दोहरा शतक लगाया, जिसे उन्होंने 147 गेंदों पर बनाया था. इस प्रकार एकदिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए. उनकी पारी के दम पर भारत ने 401/3 का स्कोर बनाया, और भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 153 रनों से हरा दिया.
100वां अंतरराष्ट्रीय शतक बनाम बांग्लादेश, मीरपुर (2012)
मास्टर ब्लास्टर ने 12 मार्च 2011 को अपना 99वां अंतरराष्ट्रीय शतक बनाया था. एक साल से अधिक समय तक बिना शतक के रहने के बाद सचिन ने मीरपुर के शेर-ए-बांग्ला नेशनल स्टेडियम में बांग्लादेश के खिलाफ 2012 के एशिया कप मैच में 100 अंतर्राष्ट्रीय शतक बनाने की उपलब्धि हासिल की, जहां उन्होंने 147 गेंदों पर 114 रन बनाए. यादगार पल 44वें ओवर में आया जब तेंदुलकर ने बाएं हाथ के स्पिनर शाकिब अल हसन को स्क्वायर-लेग पर सिंगल लेकर खेल के इतिहास में सभी प्रारूपों में शतकों का शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने.