WASHINGTON. दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के लिए अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भारत और चीन के बीच बातचीत के जरिए सीमा विवाद के समाधान का समर्थन करने की बात दोहराते हुए कहा कि अमेरिका को इस बात के बेहद कम संकेत दिखते हैं कि चीन इन वार्ताओं को सही मंशा और गंभीरता से ले रहा है. दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा, ‘चीन के साथ भारत के सीमा विवाद पर हमारा रुख पहले जैसा ही है. हम दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत के जरिए सीमा विवाद के समाधान का समर्थन करते हैं.’
लू ने कहा, ‘इसके बावजूद हमें इस बात के बेहद कम संकेत मिले हैं कि चीन सरकार सही मंशा से इन वार्ताओं को गंभीरता से ले रही है. हम जो देखते हैं वह इसके विपरीत है. हम नियमित रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर होने वाली उकसावे की घटनाओं को देख रहे हैं.’ विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत चीन की चुनौती के मद्देजनर अमेरिका के अपने साथ खड़े होने की उम्मीद कर सकता है.
उन्होंने कहा, ‘हमने गलवान संकट के दौरान 2020 में उस संकल्प को दर्शाया और हम भारत के साथ सूचना साझा करने के अलावा सैन्य उपकरणों एवं अभ्यासों पर भी सहयोग के अवसर तलाशते रहे हैं.’ एक शीर्ष अमेरिकी थिंक-टैंक सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत-चीन सीमा शत्रुता की बढ़ती संभावना का संयुक्त राज्य अमेरिका और इसकी हिंद-प्रशांत रणनीति पर प्रभाव पड़ेगा.
जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका उस भूमिका पर विचार करता है जो भारत भारत-प्रशांत क्षेत्र में निभाएगा. साथ ही क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए अमेरिका-भारत सहयोग को अधिकतम कैसे करें. अमेरिकी नीति निर्माता मानते हैं कि भविष्य में भारत-चीन सीमा संकट पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहना चाहिए.