INDORE. सनातन धर्म में पूर्णिमा का बड़ा महत्व माना जाता है। और हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा चैत्र पूर्णिमा को माना जाता है। इस दिन स्नान-दान के साथ ही भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का विधान है। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने कहते हैं कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से व्यक्ति बंधन, ऋण, रोग से मुक्त हो जाता है और सभी प्रकार के सुखों को भोगकर अंत में बैकुंठ लोक को हासिल करता है।चैत्र पूर्णिमा का व्रत रखने वाले मनुष्य पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है। इसी दिन हनुमान जन्मोत्सव को भी मनाया जाएगा। पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 5 अप्रैल सुबह 9:19 से लेकर 6 अप्रैल सुबह 10:07 पर रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, 6 अप्रैल को पूर्णिमा का दान और स्नान किया जाएगा।
5 अप्रैल को पूर्णिमा का व्रत रखना उत्तम
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का विधान और अर्घ्य देने के महत्व के चलते 5 अप्रैल को पूर्णिमा का व्रत रखना चाहिए। भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए, जिससे घर में सुख समृद्धि आती है। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है, जो आरोग्य देता है और पापों का नाश करता है।
आर्थिक समस्याएं होंगी दूर
इस दिन स्नान ध्यान करने के बाद जरूरतमंदों को जल से भरा कलश, मिट्टी की सुराही और चावल दान करने से घर से दरिद्रता दूर होती है। मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। मानी जाती है। इसलिए चैत्र पूर्णिमा की मध्यरात्रि महालक्ष्मी के मंत्र ‘ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा’ मंत्र का 108 बार जाप करना करना चाहिए। इससे आर्थिक समस्याएं दर होती हैं।