KOLKATA. सिर्फ पत्नियां ही नहीं, पति भी मानसिक क्रूरता के शिकार होते हैं। ऐसे मामलों में पत्नी से तलाक के लिए पति अर्जी लगा सकता है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने तलाक के एक ऐसे ही मामले पर सुनवाई के बाद यह बात कही। कोर्ट ने कहा कि अपनी पत्नी से मानसिक क्रूरता के लिए तलाक ले सकता है। इतना ही नहीं यदि पत्नी पति को उसके माता-पिता से अलग रहने के लिए मजबूर करती है, तो यह भी तलाक का आधार हो सकता है.कोर्ट ने सुषमा पाल मंडल के तलाक के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पति को अपने माता-पिता को छोड़कर दूसरी जगह रहने के लिए कहना मानसिक प्रताड़ना है। इस तरह की गतिविधियां कानूनी अलगाव का आधार भी हैं। इतना ही नहीं, पत्नी अपने पति कायर कहती है, तो भी पति तलाक दे सकता है। कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति उदय कुमार की पीठ ने तलाक के एक मामले में फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी द्वारा मिल रही मानसिक प्रताड़ना का सबूत दिखाकर तलाक का मामला दायर कर सकता है। पीठ ने कहा कि पति-पत्नी के बीच घरेलू मुद्दों पर टकराव और वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की समस्या के अलावा कुछ भी नहीं था। माता-पिता का घर छोड़कर पति शांतिपूर्ण जीवन के लिए किराये के घर में चला गया था।
बताते चलें कि पश्चिम मिदनापुर की फैमिली कोर्ट के 25 मई 2009 के उस आदेश को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट में पत्नी की ओर से याचिका डाली गई थी। फैमिली कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर पति को तलाक देने का आदेश दिया था। फैमिली कोर्ट ने 2 जुलाई 2001 को विवाह को शून्य कर दिया था।
पति का तर्क था कि उसकी पत्नी ने उसे ‘कायर और बेरोजगार’ कहती है और उसे माता-पिता से अलग करने के लिए छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करती थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पुरुष पर मानसिक प्रताड़ना तलाक का आधार बन सकता है। इतना ही नहीं कई मामलों में सास से न बोल पाने वाली महिलाएं पति को कायर या कम कमाई वाले पति को बेरोजगार कहती हैं। ऐसे मामलों में भी मानसिक रूप से प्रताड़ित पति तलाक ले सकते हैं।