BEJING. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अब एक और युद्ध की आहट तेज हो रही है। इस बार चीन जंग छेड़ने की तैयारी कर रहा है। चीन सरकार दावा करती है कि ताइवान उसके राष्ट्रीय क्षेत्र का हिस्सा है। जरूरत पड़ी तो वह बलपूर्वक सैन्य कार्रवाई करके इस पर नियंत्रण हासिल कर सकता ह। वहीं, ताइवान का कहना है कि यह स्वशासित द्वीप पहले से ही संप्रभु है और चीन का हिस्सा नहीं है। वह चीन की धमकियों के आगे घुटने टेकने के लिए तैयार नहीं है।ताइवान पूरी दुनिया को बड़े पैमाने पर सेमीकंडक्टर सप्लाई करता है। अमेरिका भी ताइवान के साथ खड़ा है। इन परिस्थितियों में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन के अमेरिकी दौरे पर पहुंच गई थीं, जिसके बाद बुरी तरह से बौखला चीन आक्रामता दिखाने लगा है। चीन ने ताइवान की घेराबंदी शुरू कर दी है। वेन के अमेरिका यात्रा लौटने के कुछ घंटे बाद ही चीन की सेना ने तीन दिनों का युद्ध अभ्यास शुरू कर दिया। चीनी सेना ने रविवार को ताइवान को लक्ष्य बनाकर दूसरे दिन भी युद्ध अभ्यास किया और इसकी आड़ में ताइवान की सीमा में घुसपैठ की जा रही है।
चीन ने इस सैन्य अभ्यास को ताइवान की सरकार के लिए ‘कड़ी चेतावनी’ बताया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय की तरफ से एक बयान में कहा गया है कि उसने सोमवार को सुबह 10 बजे तक ताइवान के पास 59 चीनी सैन्य विमानों को देखा। इनमें से 39 चीनी विमान ताइवान स्ट्रेट मेडियन लाइन को पार करके ताइवान के वायु सीमा में घुस आए थे।
वहीं बढ़ते तनातनी के बीच इस बीच ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह चीन के युद्ध अभ्यास का ‘शांत और संयमित’ तरीके से जवाब दे रहे हैं। रक्षामंत्रालय ने आगे कहा कि चीन क्षेत्रीय असुरक्षा और अस्थिरता पैदा कर रहा है। हमारी सेना अपनी सतर्कता और तत्परता बढ़ाएगी. मगर, उकसावे और तनाव बढ़ाने से दूर रहेगी। ताइवान ने सख्त लहजे में कहा कि वह खतरों के आगे नहीं झुकेगा।