INDORE. हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इसे बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि इस बार 15 मार्च को यह त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन मां शीतला की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है।
माना जाता है कि ऐसा करने से रोग-दोष से छुटकारा मिलने के साथ लंबी आयु का वरदान मिलता है। जानिए शीतला अष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। शास्त्रों के अनुसार, मां शीतला के स्वरुप को कल्याणकारी माना जाता है। माता गर्दभ में विराजमान होती है। जिसके हाथों में झाड़ू, कलश, सूप और नीम की पत्तियां होती है।
बासी भोजन का लगता है भोग
शास्त्रों के अनुसार, शीतला अष्टमी के साथ मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है। यह भोजन सप्तमी तिथि की शाम को बनाया जाता है। यह भोग चावल-गड़ या फिर चावल और गन्ने के रस से मिलकर बनता है। इसके साथ ही मीठी रोटी का भोग बनता है।
शीतला अष्टमी 2023 पूजा विधि
शीतला अष्टमी के एक दिन पहले यानी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को स्नान आदि करने के बाद शीतला मां के लिए शुद्धता के साथ भोग बनाएं। अष्टमी के दिन सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साथ-सूथरे वस्त्र धारण कर लें। अब मां शीतला का ध्यान करके हुए व्रत का संकल्प लें।
संकल्प लेने के लिए मां शीतला के सामने बैठकर हाथों में फूल, अक्षत और एक सिक्का लेकर इस मंभ को बोलते हुए संकल्प लें। अब सभी चीजों मां को समर्पित कर दें। इसके बाद मां शीतला को फूल, माला, सिंदूर, सोलह श्रृंगार आदि अर्पित करने के साथ बासी भोजन का भोग लगाएं। इसके बाद जल अर्पित करें।
फिर घी का दीपक और धूप जलाकर शीतला स्त्रोत का पाठ करें। विधिवत पूजा करने के बाद आरती कर लें और अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें। रात को दीपमालाएं और जगराता करें। इसके साथ ही बासी भोजन को प्रसाद के रूप ग्रहण कर लें।