KABUL. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि जब तक कि तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं दी जाती, वह मानवाधिकारों का सम्मान नहीं करेगा. इसमें महिलाओं के शिक्षा का अधिकार भी शामिल है. ब्रिटेन के चैनल 4 के साक्षात्कार का हवाला देते हुए खामा प्रेस ने बताया कि इमरान खान ने कहा कि तालिबान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. फिर मानवाधिकारों और लड़कियों की शिक्षा से संबंधित मामलों पर चर्चा की जानी चाहिए. इस इंटरव्यू में नियाजी खान ने कहा, ‘यदि आप उन्हें (तालिबान) अलग-थलग करते हैं, तो आप उन पर क्या प्रभाव डालने जा रहे हैं? यदि आप उन्हें मुख्यधारा में लाते हैं और उन्हें एक देश बतौर मान्यता देते हैं. फिर मानवाधिकारों के बारे में बात करना सही रहेगा. अभी तो आप उन्हें हाशिये पर ले आए हैं. अफगानिस्तान का धन फ्रीज कर दिया गया है, इसलिए ऐसी स्थिति में वे किसी की क्यों सुनेंगे?’
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने कहा, ‘मेरी सलाह है कि उन्हें शामिल करें. उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हिस्सेदारी दें ताकि जब आप उन्हें लड़कियों को शिक्षित करने के लिए कहें, तो वे आपकी बात सुनें. अभी वे आपकी कोई बात नहीं सुन रहे हैं.’ इमरान खान की यह टिप्पणी अफगानिस्तान में मानवाधिकार संकट के बीच आई है. अफगानी महिलाएं लड़कियों के लिए माध्यमिक विद्यालयों को फिर से खोलने के लिए तालिबान से गुहार लगा रही हैं. गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान को मान्यता देने के लिए कहा है. इससे पहले 2022 में प्रधानमंत्री रहते हुए भी इमरान खान ने कहा था, ‘अफगानिस्तान में तालिबान का कोई अन्य विकल्प नहीं है. ऐसे में इसे समझते हुए दुनिया के पास अभी एकमात्र विकल्प है कि चीजों को आगे बढ़ने के लिए तालिबान के साथ जुड़ना और बातचीत के जरिये मसलों को आगे बढ़ाना.’
गौरतलब है कि 2022 में सीएनएन चैनल के लिए फरीद जकारिया के साथ एक विशेष इंटरव्यूर में इमरान खान ने अफगानिस्तान में तालिबान के साथ पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों के बारे में बात करते हुए कहा था कि तालिबान को दुनिया को मान्यता देनी होगी, क्योंकि यह लगभग 40 मिलियन अफगानों की भलाई और उनके भविष्य के बारे में है. उस वक्त भी तत्कालीन पीएम इमरान खान ने कहा, ‘अफगानिस्तान सबसे खराब मानवीय संकट का सामना करने के कगार पर है. विद्यमान परिस्थितियों को देखते हुए क्या अफगानिस्तान में तालिबान का कोई अन्य विकल्प है? नहीं, नहीं है.’
उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान के चालीस मिलियन लोग देश में चल रही स्थिति के कारण गंभीर संकट में हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका के लोगों को यह समझना चाहिए कि तालिबान को नापसंद करना एक अलग बात है और अफगानिस्तान के लोगों के बारे में सोचना दूसरी बात है. तालिबान के शासन पर थोपे गए प्रतिबंधों की वजह से आम अफगानी अत्यधिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. इमरान खान ने आम अफगानियों के सदके तालिबान के साथ काम करने को एकमात्र विकल्प बताया था. उन्होंने कहा था कि तालिबान से मुंह फेरने से अफगानिस्तान में अराजकता ही फैलेगी. इसके साथ ही उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान की फ्रीज संपत्तियों को वापस करने और उसके आर्थिक पतन को रोकने के लिए मानवीय सहायता प्रदान करने का आग्रह भी किया था.