NEW DELHI.सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने पूर्वी लद्दाख में चीन से तीन साल के सैन्य टकराव के बीच कहा कि चीन बहुत तेज गति से सीमा के बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों को भी कम नहीं किया है. उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर एलएसी पर स्थिति स्थिर है, लेकिन इस पर हमें कड़ी नजर रखने की जरूरत है.’ अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में कई बार घुसपैठ करने के बाद से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भारी हथियारों के साथ लगभग 50,000 सैनिकों को अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर रखा है. भारतीय सेना ने भी 3,488 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक उच्च स्तर की परिचालन तैयारियां कर रखी हैं.
एक मीडिया हाउस की कॉन्क्लेव में बोलते हुए जनरल मनोज पांडे ने कहा, ‘हमारे पास किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए हथियारों और जवानों का पर्याप्त भंडार है. नई तकनीक और हथियार प्रणालियों के समावेश के साथ हमारी क्षमता का विकास एक सतत प्रयास और प्रक्रिया है. हम भी समान रूप से बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. खासकर सड़क, हेलीपैड आदि जैसे क्षेत्रों में.’ सेना प्रमुख ने आशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य वार्ता पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देपसांग और डेमचोक में शेष तनाव वाले मसलों को हल कर लेगी. अन्य विवाद और तनाव वाले प्वाइंट्स पर भी हमारा उद्देश्य और प्रयास यही है. जब तक ऐसा होता है, तब तक हमारे सैन्य बलों की तैनाती, सतर्कता उच्च स्तर पर बनी रहेगी.’
पाकिस्तान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 778 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ का स्तर सेना के मजबूत काउंटर-इंफ्लिट्रेशन ग्रिड, अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के प्रयासों और वहां ड्रोन के उपयोग के कारण कम हो गया है. हालांकि सीमा पार से संचालित ड्रोन के जरिये हथियारों और ड्रग्स को सीमा पार से भारतीय क्षेत्र में गिराने के मामलों में वृद्धि देखी गई है.
इसके अलावा पाकिस्तान में मौजूद बुनियादी आतंकी ढांचे में कोई बड़ी कमी नहीं हुई है. जनरल पांडे ने कहा, ‘राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक मंदी या आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी पाकिस्तान में घरेलू स्थिति के बावजूद भारत के प्रति उसका रवैया जस का तस है. इस वजह से एलओसी और आईबी पर हमें बेहद सतर्क रहना होगा.’