KANKER. छत्तीसगढ़ के जंगलों में भालू समेत कई जानवरों को देखना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जानवरों को शहरों में घूमते देखा जाए, तो हड़कंप मच जाता है। दरअसल, कांकेर जिले में वन्य जीवों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। अब कांकेर शहर में ही लगातार बड़ी संख्या में तेंदुआ और भालू देखे जा रहे हैं। इसी तरह, धमतरी जिले के एकता नगर में आज एक भालू को सड़कों में दौड़ते देखा गया। इस दौरान स्थानीय लोगों ने भालू के बीच सड़क में घूमते देखा। लोगों का कहना है कि यहां की सड़कों पर अक्सर भालू इस तरह घूमते देखा गया है। हालांकि अभी तक किसी प्रकार का नुकसान भालू ने नहीं पहुंचाया है। वहीं, कांकेर में जामवंत परियोजना के तहत भालुओं के लिए विचरण केंद्र बसाया गया, लेकिन वहां सब पेड़-पौधे सूखे। वन विभाग भी सुध नहीं ले रहा है।
कांकेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ अब शहरों में भी बड़ी संख्या में भालुओं के दिखने से लोगों में डर का माहौल बना हुआ है। दरअसल, कांकेर नगर चारों तरफ से पहाड़ियों और जंगलों से घिरा हुआ है। शहर के आस-पास के जंगलों में भालू की बहुतायत संख्या है। अक्सर भोजन पानी की तालाश में भालू जंगल से नगर की ओर रुख कर जाते हैं। जंगलों में छोटे-छोटे डबरी जानवरों के लिए बनाए गए है, लेकिन गर्मी के शुरुआती समय में ही डबरी सूखने की कगार पर है। भालुओं के इस तरह नगर में विचरण से लोगों में दहशत का माहौल रहता है। बताया जा रहा है कि इससे पहले पिछले साल नवंबर में भी भालुओ ने दसपुर में राशन दुकान का दरवाजा तोड़ दिया और दुकान के अंदर रखे गुड़ और शक्कर को चट कर नमक को बिखेर दिया था।
जामवंत परियोजना से बसाया गया भालू विचरण क्षेत्र, लेकिन यहां सब बेकार
कांकेर नगर के आस-पास शिवनगर-ठेलकाबोड के पहाड़ियों में 2014-2015 में 30 हजार हेक्टेयर भूमि में वन विभाग ने भालू विचरण और रहवास क्षेत्र बनाया था, जिसका नाम जामवंत परियोजना दिया गया था। इस परियोजना के तहत अमरूद, बेर, जामुन जैसे फलदार वृक्ष लगाना था। वन विभाग ने फलदार पौधा तो लगाए लेकिन कोई भी फल देने लायक नहीं बन पाया, जिसके कारण अब जंगली भालुओं को शहर की तरफ भोजन के लिए आना पड़ता है। इसके बाद भी वन विभाग भालू को रिहायशी बस्ती में आने से रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाता नजर नहीं आ रहा है।