DANTEWADA. साल 2012 में ग्राम सुराज अभियान के दौरान नक्सलियों द्वारा अपहृत हुए तत्कालीन सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन एनआईए कोर्ट दंतेवाड़ा में पेश हुए। उनके सामने उस नक्सली को पेश किया गया, जिस पर आरोप है कि पूर्व कलेक्टर का अपहरण करने वालों में से एक ये भी था। लेकिन, आईएएस मेनन उसे नहीं पहचान पाए। जबकि इस नक्सली को 2016 में गिरफ्तार किया गया था और पुलिस ने इसे ही मुख्य साजिशकर्ता माना था।
आपको बता दें कि सुकमा जिले के केरलापाल गांव के मांझीपारा में 21 अप्रैल 2012 को ग्राम सुराज अभियान के तहत शिविर लगाया गया था। इसमें जिले के कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन भी पहुंचे हुए थे। तभी नक्सलियों ने उनका अपहरण कर लिया था। वहीं सुरक्षा में तैनात गनमैन किशन कुजूर व अमजद खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अपहरण के 12 दिन बाद मध्यस्थों के जरिए चर्चा के बाद कलेक्टर को रिहा कराया गया था। वहीं पुलिस ने घटना के चार साल बाद वर्ष 2016 में अपहरण कांड में शामिल एक नक्सली को गिरफ्तार करने का दावा किया था। उसका नाम भीमा उर्फ आकाश बताया गया और उसे ही मुख्य साजिशकर्ता व मौके पर भी भूमिका निभाने वाला माना गया था।
आईएएस ने कहा— घटना पुरानी है, याद नहीं
पूर्व कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण मामले में बुधवार को दंतेवाड़ा एनआईए कोर्ट में बयान दर्ज किया गया। इसके साथ ही जेल में बंद नक्सली आकाश उर्फ भीमा को परीक्षण के लिए कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। आईएएस मेनन ने न सिर्फ उसे पहचाने से मना कर दिया, बल्कि ये भी कहा कि घटना काफी पुरानी है, इसलिए अभियुक्त गणेश उईके, रमन्ना, पापा राव, विजय मड़कम आकाश, हुंगी, उर्मिला, मल्ला, निलेश, हिड़मा, हेमला भीमा उर्फ आकाश, मुकेश भीमा, देवा समेत 125 अन्य नक्सलियों को भी भविष्य में नहीं पहचान पाएंगे।
बयान के मुताबिक, ऐसे हुआ था अपहरण
पूर्व कलेक्टर मेनन ने विशेष न्यायाधीश दीपक कुमार देशलहरे के समक्ष बयान में कहा कि सुकमा जिले के केरलापाल के मांझीपारा में वे जल संरक्षण कार्यों के नक्शे का अवलोकन कर रहे थे। तभी वहां पर गोली चलने की आवाज आई। तब वे अपने आपको बचाने जमीन पर लेट गए। इसके बाद शिविर में अफरातफरी मच गई। तभी उन्होंने देखा कि उनका एक गनमैन किशुन कुजूर जमीन के नीचे पड़ा है। उसी समय किसी व्यक्ति ने कहा कि साहब आप भाग जाइये। तब वे भागकर अपने वाहन से आगे जा रहे थे। उसी समय तीन से चार बंदूकधारी नकाबपोश लोगों ने उनकी गाड़ी रोक ली। उन्होंने सभी को गाड़ी से उतार लिया और पूछा कि उनमें से कलेक्टर कौन है। मेनन के सामने आने पर वे उनके हाथ को रस्सी से और आंख पर पट्टी बांध दिया। फिर खींचते हुए उन्हें जंगल की ओर कहीं ले गए। करीब 10 मिनट बाद आंखों की पट्टी निकाली।