INDORE. इस साल ग्रहण की कुल चार खगोलीय घटनाएं होंगी। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि इनमें से सिर्फ दो ही खगोलीय घटनाओं को भारत में देखा जा सकेगा। इसकी वजह से ग्रहण के सूतक काल भी दो ही ग्रहण के मामलों में मान्य होंगे। पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि साल 2023 में पहला सूर्य ग्रहण होगा, जो 20 अप्रैल को लगेगा। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा, लेकिन इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा। वहीं, ग्रहण की दूसरी घटना 5-6 मई की रात को होगी। यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। यानी इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा।
साल 2023 का तीसरा ग्रहण 14 अक्टूबर को होगा। यह सूर्य ग्रहण पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिका और आर्कटिका में नजर आएगा। यह ग्रहण भी भारत में नहीं दिखाई देगा। ऐसे में सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। ये सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण होगा।
सूर्य ग्रहण के सूतक काल नहीं होंगे मान्य
यानी साल 2023 में लगने वाले दोनों सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देंगे। लिहाजा, दोनों ही सूर्य ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। साल का आखिरी ग्रहण 28 और 29 अक्टूबर की रात होगा। यह आंशिक चंद्रग्रहण भारत में देखा जा सकेगा। मगर, इस खगोलीय घटना के वक्त चंद्रमा का थोड़ा सा हिस्सा ही ढंका नजर आएगा। यानी इस चंद्र ग्रहण का भी सूतक काल मान्य होगा। बताते चलें कि इस साल की तरह ही साल 2022 में भी 2 चंद्र ग्रहण और 2 सूर्यग्रहण का योग बना था।
सूर्य ग्रहण में 12 घंटे और चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले शुरू होता है सूतक काल
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण से पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस दौरान मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। किसी भी तरह का कोई शुभ काम या पूजा-पाठ नहीं किया जाता है। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण के शुरू होने से करीब 09 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस दौरान सिर्फ मंत्रोच्चार किया जा सकता है।
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