Tirandaj.com सूरत के हीरा व्यापारी संघवी मोहन भाई की नौ वर्षीय पोती देवांशी ने संन्यास ले लिया है। देवांशी का दीक्षा महोत्सव इसी हफ्ते शुरू हुआ। वहां आज सुबह छह बजे देवांशी की दीक्षा शुरू हुई। देवांशी ने करीब 40 हजार लोगों की मौजूदगी में जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा ले ली है। गुजरात के सूरत में देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकाली गई। इससे पहले मुम्बई और एंटवर्प में भी देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकाली गई। इसमें चार हाथी, 20 घोड़े, 11 ऊंट और बड़ी संख्या में आम लोग शामिल थे। देवांशी के परिवार के ही स्व.ताराचंद का भी धर्म के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने श्री सम्मेद शिखर का भव्य संघ निकाला और आबू की पहाड़ियों के नीचे संघवी भेरूतारक तीर्थ का निर्माण करवाया था।
सबसे खास बात यह है कि देवांशी पांच भाषाओं में जबरदस्त पकड़ रखती है। इसके साथ ही देवांशी स्कैटिंग, मेंटल मैथ्य, भरतनाट्यम, गीत और संगीत के क्षेत्र में भी एक्सपर्ट मानी जाती है। देवांशी को वैराग्य शतक और तत्वार्थ के अध्याय जैसे महाग्रंथ भी कंठस्थ है।
देवांशी ने आठ साल की कम आयु तक ही तीन सौ 57 दीक्षा दर्शन करने के साथ ही सात सौ पैदल विहार, तीर्थों स्थलों का भ्रमण और कई जैन ग्रंथों का वाचन कर तत्व ज्ञान को समझ चुकी हैं। देवांशी के परिजनों ने बताया कि देवांशी कभी भी टीवी नहीं देखी है। देवांशी जैन धर्म में प्रतिबंधित चीजों का कभी भी उपयोग नहीं किया है। साथ ही कभी भी अक्षर लिखे हुए कपड़े भी नहीं पहना है। देवांशी धार्मिक शिक्षा के साथ ही क्विज स्पर्धाओं में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी है। देवांशी भरतनाट्यम और योग में भी पारंगत है।