New Delhi 21 January. राजस्थान में आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत-पायलट खेमे की खाई और चौड़ी होती नजर आ रही है. कांग्रेस आलाकमान की नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कड़े कदम उठाने की हिचक ने अगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हौसलों को बुलंद किया है, तो पायलट भी परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री पर निशाना साधने समेत तंज कसने से नहीं चूक रहे हैं. हालिया दौर में सचिन पायलट की ओर से जनसभाओं की शुरुआत करने के बाद तो कड़वाहट ज्यादा बढ़ती प्रतीत हो रही है. सचिन पायलट जहां पेपर लीक समेत भ्रष्टाचार के मसले पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़े करने से नहीं चूक रहे हैं, तो अशोक पायलट भी मर्यादा की सीमाएं लांघ परस्पर बातचीत में पायलट को ‘बड़ा कोरोना’ करार दे रहे हैं. जवाब में सचिन भी तीखी बयानबाजी कर रहे हैं.
विगत दिनों बजट से पहले कर्मचारी संगठनों की बैठक के दौरान सीएम अशोक गहलोत ने पायलट का नाम लिए बगैर उन पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा था कि राजस्थान में अजब ही खेल चल रहा है, पहले कोरोना आया, जिसने मेल-मुलाकातों पर रोक लगा दी. फिर पार्टी में एक और बड़ा कोरोना आ गया. माना जा रहा है कि अशोक गहलोत का इशारा सचिन पायलट की ओर था. इससे पहले भी अशोक गहलोत सार्वजनिक तौर पर पायलट को ‘निकम्मा’ जैसे तमाम विशेषणों से नवाज चुके थे. गौरतलब है कि सचिन पायलट ने कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान ही बागी तेवर अपनाए थे. इसके बाद दोनों के बीच सुलह-सफाई के सारे प्रयास विफल रहे.
जाहिर है सीएम अशोक गहलोत की कोरोना को लेकर हालिया टिप्पणी के बाद पायलट खेमे में उबाल आना ही था. सचिन पायलट के विश्वासपात्र वेद प्रकाश सोलंकी ने अशोक गहलोत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर कोरोना आ गया. तो तुरंत ही कोविड-19 वैक्सीन लेने की जरूरत है. इस तरह ही कोरोना संक्रमण से निजात मिल सकेगी. माना जा रहा है कि वेद प्रकाश सोलंकी ने इस प्रतिक्रिया के जरिये अशोक गहलोत समेत कांग्रेस आलाकमान को भी साफ संदेश दिया. हालांकि सचिन पायलट ने कोरोना तंज पर सधी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि अगर असहमति है तो भी लोकतंत्र की खूबी यही है कि उस पर चर्चा की जाए. दूसरों का अपमान नहीं करना चाहिए. हालांकि कॉलेज छात्रों से बातचीत के दौरान पायलट ने भी गहलोत का नाम लिए बगैर कई तीर छोड़े. खास बात यह रही कि छात्रों ने पायलट के सवालों का जवाब देते हुए सीएम अशोक गहलोत का नाम कई बार लिया.