BHANUPRATAPUR. भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद अब मंथन शुरू हो गया है। दरअसल, सर्व आदिवासी समाज की प्रत्याशी की हार को लेकर आज गोड़वाना भवन में समीक्षा बैठक की गई। इस दौरान हार के कारण और कमियों को जानने को लेकर चर्चा किया गया। आदिवासी वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम ने कहा कि लड़ने का काम राजनीतिक पार्टियों का है। किसी समाज का नहीं लेकिन राज्य सरकार ने चुनाव लड़ने के लिए मजबूर कर दिया।

गोंडवाना भवन में आज सर्व आदिवासी समाज की विधानसभा स्तरीय बैठक हुई। यह बैठक उपचुनाव समीक्षा को लेकर रखी गई थी। नेताम ने आगे कहा कि उपचुनाव में प्रचार-प्रसार के लिए समय नहीं था। मात्र 10 से 12 दिनों में ही सामाजिक स्तर से तैयारियां की गई। जबकी भाजपा व कांग्रेस के पास संसाधन, प्रचार-प्रसार व तमाम प्रदेश के नेताओं की कोई कमी नहीं थी। उन्होंने कहा कि आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव में सर्व आदिवासी समाज तैयारी में जुट गई है। इस चुनाव में जो भी कमियां रही उसे दूर करेंगे। उन्होंने कहा कि समाज के अस्तित्व की लड़ाई है,

वहीं, सर्व आदिवासी समाज के आरक्षण मामला अब उलझ गया है, आगे क्या होगा यह आदिवासियों को भी समझ नहीं आ रहा है। यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है व हाई कोर्ट में खारिज हो चुका है। यदि प्रदेश सरकार ईमानदारी से लड़ी होती तो शायद यह नौबत ही नहीं आती। नेताम के अनुसार हमारे दो फैसले पेशा कानून हमारे समाज का अधिकार को समाप्त कर दिया। वहीं आरक्षण मुद्दे पर प्रदेश सरकार का जजमेंट के बाद कोई बयान नहीं आया। समाज के साथ नहीं देने वाले पर भी कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए विचार किया जा रहा है। अरविंद नेताम ने कहा कि चुनाव पूर्व सरकार के द्वारा विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण पर विधेयक लाया गया जो चुनावी था। इसका चुनाव पर भी असर पड़ा है।








































