RAIPUR. छत्तीसगढ़ में एक बार फिर लेटर बम फूटा है। अबकी बार आईएएस अनिल टुटेजा ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को खुली चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने सीधे तौर पर कहा है कि विधानसभा से लेकर सूचना का अधिकार के तहत दिए गए जवाब में आपकी सरकार ने नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले को सिरे से खारिज किया। इसे निराधार और काल्पनिक बताया। इससे स्वत: सिद्ध है कि आपकी सरकार द्वारा मेरे कार्यकाल में अमानक चावल संग्रहण व पांच करोड़ की क्षति के एसीबी के मुख्य आरोपों को खारिज कर मुझे क्लीनचिट दी जा चुकी थी। लेकिन, मेरे अभ्यावेदन के बाद भी लंबित प्रकरण को समाप्त कराने के लिए कोई पहल नहीं की गई। उल्टे विधानसभा चुनाव की वोटिंग के बाद मतगणना से ठीक पांच दिन पहले एसीबी की ओर से चालान पेश कर दिया गया। अब मेरे खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की बात कहकर आप फिर मुझे आरोपी बता रहे हैं, मैं ट्रायल का सामना करने को विवश हूं।
आईएएस टुटेजा ने अपने लेटर के साथ कई पुराने पत्र व दस्तावेजों को भी सार्वजनिक किया है। उन्होंने अपने पत्र में डा. रमन को सीधे लिखा है कि आदरणीय डा. रमन सिंह जी, मीडिया में आप मुझ पर नान घोटाले के प्रमुख आरोपी होने, वर्तमान सरकार द्वारा मुझे बचाने, संरक्षण देने समेत महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ करने के आरोप लगाते रहते हैं। इसके बाद उन्होंने पहले मामले की जांच के बाद रायपुर के विशेष न्यायालय के समक्ष 46 आरोपियों के खिलाफ एसीबी द्वारा प्रस्तुत चालान में लगाए आरोप की जानकारी दी है।
इसमें बताया गया था कि उनके नान में जून 2014 से फरवरी 2015 यानी आठ महीने के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार का नवीन तंत्र विकसित हुआ। इसके तहत् राज्य में लाखों क्विंटल अमानक चावल का संग्रहण व वितरण किया गया। चावल और नमक के अनावश्यक अंतर्जिला परिवहन में नान को 5.48 करोड़ रुपये की क्षति हुई। वहीं उन्हें भी लाखों क्विंटल अमानक चावल के बदले राइस मिलरों से एकत्र अवैध राशि में हिस्सा मिलता था। तब एसीबी ने नान को पांच करोड़ के नुकसान के संबंध में नान प्रबंधन या खाद्य विभाग से पूछने की आवश्यकता तक महसूस नहीं की। चावल के मापदंडों की कोई जानकारी नहीं होने के बाद भी अमानक चावल के संग्रहण के काल्पनिक आरोप लगाये गए।
आईएएस टुटेजा ने आगे डॉ. रमन को संबोधित करते हुए लिखा है कि आपकी सरकार ने अमानक चावल संग्रहण व पांच करोड़ की क्षति के बारे में जो उच्च न्यायालय और विधानसभा में जानकारी दी थी उसके अनुसार, दिसंबर 2015 के शीतकालीन सत्र में बताया गया कि साल 2014 में अक्टूबर तक राज्य में कही भी अमानक चावल संग्रहित नहीं किया गया था। फिर बताया कि वित्तीय वर्ष 2013 व 2014 में नमक के अनावश्यक परिवहन में कोई क्षति नहीं हुई थी। विधानसभा में ही 18 मार्च 2016 को बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2013-14 व 2014-15 में राज्य में कही भी अमानक चावल संग्रहण व वितरण की कोई शिकायत नहीं मिली है। जबकि पीडीएस के तहत वितरित किए जाने वाले चावल की गुणवत्ता की जांच कलेक्टरों द्वारा स्वतंत्र रूप से खाद्य निरीक्षकों के माध्यम से कराई जाती है।
विधानसभा और अदालतों में सरकार की ओर से जो जवाब पेश किए गए वह इन कलेक्टरों से मिली जानकारी के आधार पर ही बताए गए थे। इसी तरह नान घोटाले के मामले में हाईकोर्ट में हुए हजारों करोड़ के घोटाले की बात कहकर दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान भी सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने भी सिरे से खारिज किया। उल्टा इस दौर को उपलब्धि वाला बताया गया। कहा गया कि पिछले 12 सालों से भी अधिक अवधि से राज्य का पीडीएस देश के लिए मॉडल है, टाइम टेस्टेड और एफिसिएंट है। जबकि इस अवधि में उनका कार्यकाल भी शामिल रहा है।
नान के बैलेंस शीट में भी दिखाया लाभ, आपकी सरकार ने दिया क्लीनचिट इतना ही नहीं, नान के बैलेंस शीट में भी नान को तीन करोड़ 80 लाख रुपये के लाभ में होने की जानकारी दी गई थी। यह जानकारी बकायदा ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर दी गई थी। इन सभी माध्यमों से आपकी सरकार ने सभी आरोपों को खारिज किया था। ये सभी साबित करते हैं कि आपकी सरकार ने मुझे क्लीनचिट दिया था। आरोप तो दूर की बात, इस दौर को भी फायदे वाला बताया था। फिर ये सब कैसे संभव हुआ।
मतलब मोहरा ही बनते रहे टुटेजा
आईएएस अनिल टुटेजा ने पत्र में यह बात तो सीधे तौर पर नहीं लिखा है, लेकिन साफ है कि वे सरकारों द्वारा एक-दूसरे पर आरोप लगाने में वे मोहरा बनते रहे। यह बात इससे स्पष्ट होती है कि जब उन्हें हर मौके पर भाजपा सरकार क्लीनचिट देती रही। डॉ. रमन को उन्होंने इस आधार पर उस समय भी अभ्यावेदन के रूप में चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि जब उन्हें क्लीनचिट दिया जा चुका है, उन पर आरोप सिद्ध ही नहीं हुआ है तो सरकार पहल करे और मामले को खात्मे में डाला जाए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उल्टे, जब 2018 में विधानसभा चुनाव हो गया और मतगणना को पांच दिन शेष थे तभी एसीबी ने उनके खिलाफ चालान पेश कर दिया। अब ये मामला आज तक लंबित है। वहीं अब वही रमन सिंह वर्तमान सरकार को उन्हें संरक्षण देने का आरोप लगा रहे हैं।