Tirandaj Desk. गुजरात के मोरबी में हुए हादसे ने सबका दिल दहला दिया है। इस हादसे ने कोटा के हैंगिंग ब्रिज हादसे की याद ताजा कर दी है। 13 साल पहले कोटा में चंबल नदी पर बन रहा हैंगिंग ब्रिज गिर गया था। पुल का बड़ा हिस्सा मजदूरों के साथ मगरमच्छों से भरी चंबल नदी में समा गया था। इस हादसे में 50 के करीब लोगों की मौत हो गई थी।
गुजरात के मोरबी में रविवार शाम सात बजे मच्छु नदी पर बना हैगिंग ब्रिज गिर गया है। इस हादसे में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत की खबर आ रही है। यह हादसा कोटा के हैंगिंग ब्रिज हादसे की याद दिला रहा है। राजस्थान के कोटा में सबसे बड़ा हैकिंग ब्रिज है। चंबल नदी के ऊपर स्थित इस ब्रिज को देश का सबसे बड़ा हैकिंग ब्रिज माना जाता है। साल 2007 में बनना शुरू हुए ब्रिज में दो साल बाद ही बड़ा हादसा हो गया था। इसमें 48 मजदूरों की मौत हो गई थी।
24 दिसंबर 2009 को हुए हादसे में निर्माणाधीन पुल का बड़ा हिस्सा मजदूरों को लेकर चंबल नदी में गिर गया था। इस स्ट्रक्चर को बनाने में एक क्रेन भी लगी थी, जिसे एक ऑपरेटर संचालित कर रहा था। हादसे में क्रेन भी नदी में डूब गयी थी। इससे क्रेन ऑपरेटर की भी मौत हो गई थी।
हजारों टन वजनी स्ट्रक्चर गिरा था
यहां स्टील और सीमेंट के बड़े ढांचे हटने के बाद ही अंदर दबे मजदूरों को निकाला जा सका था। हजारों टन स्टील और सीमेंट के भारी भरकर स्ट्रक्चर होने के कारण मलबा हटाने के लिए गैस कटर की मदद से लोहे के एंगल्स को काटकर क्रेन की मदद ली गई थी।
आई थीं क्रेनें और विशेषज्ञों की फौज
इस हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बचाव कार्य के लिए रावतभाटा परमाणु बिजली घर, कोटा थर्मल पॉवर स्टेशन की क्रेनें मंगवाई गई थीं। वहीं राहत कार्य के लिए थलसेना, गुजरात से आपदा प्रबंधन टीम, भारतीय रेलवे, नौसेना और नेशनल हाईवे के विशेषज्ञों की मदद ली गई थी।
हादसे ला लाइव वीडियो
मगरमच्छों का आशियाना है चंबल
दरअसल चंबल नदी मगरमच्छों के लिए भी जानी जाती है। लेकिन जहां हादसा हुआ था, वह क्षेत्र मगरमच्छों के रहवास के लिए जाना जाता है। इसलिए हादसे में कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। क्योंकि कुछ मजदूरों के शव कई दिनों बाद मिले थे। वहीं कइयों का अता-पता ही नहीं चल पाया।
ब्रिज पर लोड बढ़ते ही बजता है सायरन
213.58 करोड़ रुपए की लागत से बने ब्रिज का निर्माण हादसे के बाद धीमा पड़ गया था। इस अत्याधुनिक ब्रिज में ऐसा सिस्टम लगा है जिससे ब्रिज पर ज्यादा वजन पड़ते ही सायरन बजता है। तेज बारिश, आंधी, तूफान, ट्रैफिक लोड बढ़ने और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा आने पर यह सिस्टम कंट्रोल रूम को इन्फॉर्म करता है।
भारत का सबसे लंबा और आधुनिक हैंगिंग ब्रिज
1.4 मीटर लंबे इस ब्रिज का तीन सौ मीटर हिस्सा हैगिंग है। इसे भारत का सबसे लंबा हैगिंग ब्रिज माना जाता है। इसे मुम्बई (महाराष्ट्र) के बांद्रा-वर्ली सी लिंक और प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के नैनी ब्रिज से ज्यादा अत्याधुनिक माना जाता है। आठ देशों की अत्याधुनिक टेक्निक से बना है यह ब्रिज। इस पुल को बनने में पूरे दस साल लग गए। इसका उद्घाटन 2017 में हुआ था।
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