JANJGIR. जिले के अकलतरा ब्लॉक के बीईओ वेंकट रमन प्रताप सिंह पाटले के राज में गजब का अजूबा हो रहा था। यहां शिक्षक मरकर भी स्कूल जा रहे थे और बकायदा बच्चों को पढ़ा रहे थे। यही नहीं, वे हर महीने वेतन भी उठा रहे थे। कई शिक्षक गंभीर रूप से बीमार होने के बाद लंबे समय से स्कूल नहीं जा रहे हैं, बकायदा उनका वेतन भी जारी होता रहा। इस तरह कुल पांच लाख 98 हजार 727 रुपये आहरित हो गए। इस बीच शिक्षा विभाग के अवर सचिव पुलक भट्टाचार्य ने बीईओ की इस कारस्तानी को पकड़ लिया और उसे सस्पेंड कर दिया है।
विकासखंड के अंतर्गत आने वाले सभी शासकीय स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों के अवकाश, वेतन आदि से संबंधित मामलों में बीईओ की अहम भूमिका होती है। दीर्घकालिक छुट्टी उनकी स्वीकृति के बगैर संभव नहीं है। अनुपस्थिति में वेतन रोकना भी उनकी जिम्मेदारी का हिस्सा है। इन सबके बाद भी अकलतरा ब्लॉक के बीईओ वेंकट रमन प्रताप सिंह पाटले गैरजिम्मेदाराना रवैया अपना रहे थे।
मामले की जांच के बाद यह भी कहा जा रहा है कि यह सभी बीईओ की जानकारी के बगैर और मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। इसमें पाया गया कि कुछ शिक्षक लकवा व अन्य गंभीर बीमारी की वजह से स्कूल लंबे समय तक नहीं जा रहे थे, लेकिन उनका वेतन जारी हो रहा था। इसी तरह कुछ शिक्षकों की मौत हो चुकी है, उनके नाम से भी वेतन जारी हो रहा था। सेवानिवृत्ति के मामले में भी इसी तरह की गड़बड़ी सामने आई है। इसके बाद उन्हें सस्पेंड किया गया है।
इस तरह की गई हैं गड़बड़ियां
– चार शिक्षक व सहायक शिक्षक में से कुछ की मौत हो गई है तो कुछ की सेवानिवृत्ति हो चुकी है, उनका कुल पांच लाख 98 हजार 727 रुपये का वेतन जारी हुआ है।
– प्रधानपाठक संतोष कुमार सहकर लकवा से ग्रसित हैं। वे 449 दिनों से अनुपस्थित थे। उनका 62 दिन का अवकाश स्वीकृत हुआ था पर उनके शेष 387 दिनों का वेतन भी जारी हुआ है। इसी तरह के कई और मामलों में लापरवाही बरती गई है।

































