JAGDALPUR. देश-दुनिया में प्रसिद्ध बस्तर का ऐतिहासिक दशहरा का इन दिनों भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। यह उत्सव 75 दिनों तक चलता, जिसमें छत्तीसगढ़ के अलावा देश-दुनिया से लोग शामिल होते हैं। इस दौरान 6 दिनों तक चलने वाली फूल रथ की परिक्रमा रविवार देर रात पूरी हो गई। रोचक बात ये है कि बस्तर दशहरा में राम और रावण का जिक्र तक नहीं होता है।
इस परंपरा के आखिरी दिन करीब 43 फीट ऊंचे रथ को खींचने के लिए हजारों लोग शामिल हुए। रविवार देर शाम शुरू हुई यह रथ परिक्रमा में मां दंतेश्वरी के मंदिर से माई के मुकुट और छत्र को गाजे-बाजे के साथ प्रधान पुजारी और मांझी चालकियों द्वारा रथ तक लाया गया। इसके बाद रथ कि परिक्रमा शुरू हुई जो जगन्नाथ मंदिर से होते हुए गोल बाजार चौक, गुरुनानक चौक के बाद दंतेश्वरी मंदिर के पास पहुंची। इसके बाद माईजी की छत्र को उतारकर मंदिर के भीतर लाया गया।