KORIYA. आज नामीबिया से भारत लाए जाने पर चीते फिर से चर्चा में हैं। लेकिन क्या आपको पता है देश में अंतिम चीते कहां थे और कैसे वे खत्म हुए। तो बता दें कि कोरिया जिले के रामगढ़ इलाके के जंगल में देश अंतिम तीन एशियाई चीते थे। इनमें से एक मादा और दो बच्चे थे। इनका शिकार कोरिया के राजा स्वर्गीय रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 1947 में किया था।

कोरिया के राजा स्व. रामानुज प्रताप का बैकुंठपुर के महलपारा स्थित कोरिया पैलेस।
इसके बाद से भारत मे चीते खत्म हो गए और 1952 में इसे विलुप्त करार दे दिया गया। एक बार फिर भारत में 8 चीता लाए जा रहे हैं। ये अफ्रीकन चीते हैं और नामीबिया से इन्हें लाया जा रहा है। सभी चीते हवाई जहाज से मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उतरेंगे।
वहीं बात करें कोरिया के राजा स्वर्गीय रामानुज प्रताप सिंहदेव की तो उनका जन्म 1901 में और निधन 1954 में हुआ था। बैकुंठपुर के महलपारा इलाके में बने कोरिया पैलेस की अगर बात करें तो यहां दो कमरे में अलग अलग पशुओं की ट्राफियां रखी हैं। यहाँ लोगों के जाने पर रोक है। एक कमरे में इंडियन तो दूसरे कमरे में अफ्रीका के पशुओं की ट्राफी है।
पुराने जानकार लोगों की मानें तो राजा को शिकार का बड़ा शौक था और वह इसके लिए कश्मीर तक जाते थे। इनके द्वारा अविभाजित कोरिया जिले के रामगढ़, झगराखांड सलका आदि इलाके में शिकार किया जाता था। पुराने ऐसे लोग हैं जो रामानुज प्रताप सिंहदेव के सबसे छोटे बेटे कोरिया कुमार स्वर्गीय रामचन्द्र सिंहदेव जो मंत्री भी रहे हैं, उनके करीबी हैं। रामचन्द्र सिंहदेव से ये उनके पिता द्वारा किये गए शिकार के बारे में सुनते थे।
बस्तर राजा को भी भेंट किया था चीते का सिर!
कहा जाता है कि रामानुज सिंह देव ने एक चीते के सिर को तत्कालीन बस्तर के राज प्रवीर चंद भंजदेव को दिया था जो आज भी बस्तर राज दरबार में लगा हुआ है। वहीं वर्तमान में बैकुंठपुर की विधायक अम्बिका सिंहदेव जो राज परिवार से हैं, वह भी शिकार के बारे में सुनती रही हैं। पर चीता के शिकार को लेकर कोई अधिकृत बात नहीं कहती हैं।

बस्तर राज दरबार में लगा चीते का सिर।