तीरंदाज डेस्क। अलजजीरा की एक रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी सरकार की निगरानी में एक हैकिंग समूह ने पिछले कुछ सैलून में कई देशों और समाचार एजेंसियों के खिलाफ जासूसी की है। इनमें भारत भी शामिल है। साइबर सिक्योरिटी फर्म रिकॉर्डेड फ्यूचर (Recorded Future) की रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हैकिंग समूह का नाम रेड अल्फा है। जो चीन के लिए रणनीतिक महत्व रखने वाले दूसरे देशों के संगठनों में काम कर रहे लोगों का लॉगिन डिटेल्स चोरी करने में एक्सपर्ट हैं।

रिकॉर्डेड फ्यूचर के अनुसार 2019 के बाद से जासूसी के लिए रेडअल्फा द्वारा जिन संगठनों को निशाना बनाया गया है, उसमें भारत का राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) समेत इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (FIDH), एमनेस्टी इंटरनेशनल, मर्केटर इंस्टीट्यूट फॉर चाइना स्टडीज (MERICS), रेडियो फ्री एशिया (RFA), ताइवान स्थित अमेरिकी संस्थान और ताइवान का सत्तारूढ़ दल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) शामिल हैं।
हैकर्स ने ईमेल भेजकर संगठनों को बनाया निशाना
रिकॉर्डेड फ्यूचर के अनुसार RedAlpha ने पीडीएफ मेल भेजकर सभी संगठनों को निशाना बनाया। इस मेल पर क्लिक करते ही एक एक नकली पोर्टल पेज खुल जाता है, जिसका उपयोग लॉगिन डिटेल्स चुराने के लिए किया जाता है। रिकॉर्डेड फ्यूचर ने कहा रेडअल्फा ने ताइवान के संगठनों और मानवाधिकार समूहों को एक-एक करके स्वशासी लोकतंत्र, जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों पर खुफिया जानकारी इकठ्ठा करने के लक्ष्य के तहत कार्य किया।

जासूसी के लिए अनेक तरीकों का करते हैं उपयोग
साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर और ईयरहार्ट बिजनेस प्रोटेक्शन एजेंसी की संस्थापक हैना लिंडरस्टल ने कहा, ‘रेडाल्फा द्वारा हैकिंग के लिए अपनाया जाने वाला तरीका आम तरीका है, जो बाकी हैकर्स इस्तेमाल करते हैं। इनके पास हैकिंग के लिए अनेक तरीके होते हैं। लेकिन डाटा चोरी करने का इनके द्वारा अपनाये जाने वाला सबसे आसान तरीका कीबोर्ड पर बैठा किसी संगठन का कर्मचारी बनता है। किसी भी संगठन का आईटी विभाग ज्यादातार साइबर हमलों के लिए अच्छी तरह से तैयार रहता है, और हैकर्स यह बात अच्छे से जानते हैं। इसलिए संगठन के कर्मचारी को निशाना बनाने का प्रयास करते हैं।’






































