तीरंदाज, राजनांदगांव। खैरागढ़ उपचुनाव में इस बार राजपरिवार का दखल नहीं दिख रहा है। खैरागढ़ के राजा देवव्रत सिंह के निधन के बाद राजपरिवार में आए बिखराव के कारण विधानसभा चुनाव में इनके परिवार से कोई दिख नहीं रहा। सत्ताधारी कांग्रेस व भाजपा दोनों ही दलों ने यहां ओबीसी कार्ड खेला है। यही नहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने भी खैरागढ़ में ओबीसी प्रत्याशी ही उतारा है।
खैरागढ़ के चुनावी इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि बिना राजपरिवार की दखल के बिना यहां चुनाव हुए हों। खैरागढ़ में 1957 से 2018 तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं। हर चुनाव में राजपरिवार का जोर रहा है। इसमें 10 बार राजपरिवार के लोग चुनाव जीतते रहे हैं। कम ही मौके ऐसे आए जब राजपरिवार को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो।
देवव्रत सिंह रहे चार बार विधायक
खैरागढ़ में विधानसभा में राजपरिवार से देवव्रत सिंह चार बाद विधायक रहे। वे एक बार सांसद भी रहे हैं। इनके अलावा राजपरिवार से रश्मिदेवी सिंह भी चार बार विधायक रहीं। लाल ज्ञानेंद्र सिंह व वीरेंद्र बहादूर सिंह एक-एक बार विधायक चुने गए। राजपरिवार को नाता कांग्रेस से रहा है। वहीं खैरागढ़ विधानसभा में सर्वाधिक 13 वार कांग्रेस को जीत मिली। दो बार भाजपा ने यहां जीत दर्ज की है। पिछले चुनाव में यहां जकांछ की टिकट पर राजपरिवार के देवव्रत सिंह विधायक बने थे।
गैर राजकीय परिवार से यह बने हैं विधायक
देश की बड़ी रियासतों में शामिल खैरागढ़ रियासत की कल्पना राजपरिवार के बिना नहीं की जा सकती। यहां बहुत कम मौके ऐसे जब राजपरिवार से अलग विधायक बना हो। दो बार भाजपा के कोमल जंघेल यहां के विधायक बने। इसके अलावा गैर-राजपरिवार से ऋतुपर्ण किशोरदास, विजयलाल ओसवाल, माणिकलाल गुप्ता व गिरवर जंघेल को खैरागढ़ में विधायक बनने का मौका मिला था।
राजा देवव्रत की दोनों पत्नियां भी चुनावी मैदान से बाहर
देवव्रत सिंह के निधन के बाद उनकी तलाकशुदा पत्नी पद्मा सिंह व दूसरी पत्नी विभा सिंह इस चुनाव में कहीं भी नजर नहीं आ रही हैं। चुनाव की घोषणा से पूर्व दोनों अपने अपने स्तर पर राजपरिवार की विरासत पर दावा कर रही थी लेकिन दोनों ही इस चुनाव से पूरी तरह गायब हैं। इसके पीछे कहा जा रहा है कि पारिवारिक विवाद के कारण कांग्रेस व भाजपा ने राजपरिवार के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई।
जकांछ का प्रत्याशी को लेकर चर्चा
एक ओर जहां इस चुनाव में राजपरिवार की दखल नहीं होने की बात हो रही है वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने दिवंगत राजा देवव्रत सिंह के बहनोई नरेन्द्र सोनी को टिकट दिया है। नरेन्द्र सोनी को लेकर कहा जाता है कि वे राजा देवव्रत के बहनोई जरूर हैं लेकिन उनका राजपरिवार से कोई नाता नहीं है। नरेन्द्र सोनी भी राजपरिवार से किसी भी प्रकार के संबंध से इंकार कर चुके हैं।