दमिष्क। कनाडा के एक थिंक-टैंक ने अपने शोध पत्र में कहा कि सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट जैसे इस्लामिक आतंकवादी संगठन अब मध्य एशिया पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। वे रूस और चीन को एक रणनीतिक स्थिति और कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता के रूप में एक स्थिति हासिल करने के लिए लेना चाहते हैं।
प्रतिष्ठित लेखक एलेसेंड्रो लुंडिनी ने ‘टेररिस्ट थ्रेट्स इन सेंट्रल एशिया: ए प्रॉब्लम वेरियस एस्पेक्ट्स’ शीर्षक से शोध पत्र तैयार किया है। कनाडा के थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (आईएफएफआरएएस) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आतंकी संगठन आईएस में अब भर्ती होने वाले ज्यादातर आतंकी रूस और चीन से आ रहे हैं।
मध्य एशियाई देशों के हजारों लोग आईएस में शामिल हो रहे हैं। रूस और चीन जैसे देशों से बड़ी संख्या में युवा आईएस या अन्य आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए सीरिया या इराक जा रहे हैं। शोध में यह भी बताया गया है कि इस बात की भी आशंका है कि आईएस के घातक लड़ाके यूरोप और एशिया के मिश्रित इलाकों में अपने पैर जमा सकते हैं। आप उनकी रणनीति और विचारधारा के समर्थक भी बन सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दावा बिना किसी आधार के नहीं किया जा रहा है। पिछले साल अगस्त में उज्बेकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामी आंदोलन के दौरान कई लोगों ने आईएस जैसे आतंकवादी संगठनों के प्रति अपना झुकाव दिखाया। यह काफी खतरनाक बात है।
एक और चिंता यह भी है कि अफगानिस्तान में तालिबान तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों की सीमाओं को भी प्रभावित कर सकता है। उल्लेखनीय है कि रूस इस्लामी कट्टरपंथियों के प्रभाव को कम करना चाहता है। इसलिए उस जगह जिहादियों के बढ़ने का डर बढ़ गया है। इसी तरह के दुष्प्रभाव पूरे मध्य एशिया में देखे जा सकते हैं, तुर्कमेनिस्तान से लेकर ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान तक। इन देशों से आतंकवादियों की भर्ती को रोकने के लिए इस क्षेत्र के देशों को एक साझा नीति बनाने का सुझाव दिया गया है।