बरनाला। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से बचाने के लिए भारत सरकार ने भारतीय बच्चों के साथ दूसरे देश के बच्चों की भी सहायता कर रही है। इसकी बड़ी सराहना हो रही है। इसी बीच एक बात सामने आ रही कि चंदन जिंदल नाम के एक 22 वर्षीय भारतीय छात्र की यूक्रेन में स्ट्रोक से पीड़ित होने के बाद मौत हो गई। उसके बाद सरकार के सहयोग के बिना उसके शव को भारत लाया गया है।
बता दें कि यह पहला शव है जो भारत पहुंचा है। चंदन का शव घर पहुंचते ही पूरे परिवार में मातम पसर गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को चंदन जिंदल का शव भारत पहुंचा था। बरनाला शव पहुंचने के बाद पूरे इलाके में मातम पसर गया। बेटे का शव देख माता-पिता फूट-फूट कर रोने लगे। पीड़ित परिवार का कहना है कि वे अपने दम पर बेटे के शव को घर लाने में सफल रहे हैं। केंद्र और पंजाब सरकार ने उनकी मदद नहीं की।
जानकारी के लिए बता दें कि जिंदल पंजाब के बरनाला का रहना वाला था। जो यूक्रेन के विनितसिया नेशनल पाइरोगोव मेमोरियल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा था। सिर में खून का थक्का जमने के बाद चंदन को अस्पताल में भर्ती किया गया था। मृतक छात्र के पिता शिशन कुमार अस्पताल में मौजूद थे। पिता अपने बेटे के शव को लेकर रोमानिया के सीरेट सीमा पर पहुंचे और वहां से रोमानिया से एक एयर एम्बुलेंस और साइरेट बॉर्डर पर मदद के लिए भी अनुरोध किया।
बता दें कि 4 फरवरी को डॉक्टरों ने चंदन का ऑपरेशन किया था। पिता शिशन जिंदल और कृष्ण जिंदल बेटे की देखभाल के लिए यूक्रेन गए थे। इस दौरान युद्ध शुरू हो गया और चंदन की वहीं अस्पताल में मौत हो गई जिसकी वजह से उन्हें वहीं रूकना पड़ा, लेकिन पहले कृष्ण जिंदल और बाद में शिशन जिंदल को भारत लौटना पड़ा। यहां आने से बाद उन्होंने शव की वापसी के लिए लगातार प्रयास किया। खुद के प्रयासों से बड़ी मुश्किल से चंदन के शव को भारत लाने में सफल रहे।
(TNS)