बीसी नागेश, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री, कर्नाटक।
बेंगलुरू। जीवन में व्यावहारिक बारीकियों को जानने-समझने के लिए स्कूली बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने कर्नाटक सरकार तैयारी कर रही है। कहा जा रहा है कि मोरल साइंस यानी नैतिक विज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग अभिभावकों की ओर से उठ रही है।
हम बात कर रहे हैं कर्नाटक की। जहां हाल ही में हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के बाद स्कूल-कॉलेज पुन: खुले हैं। राज्य के शिक्षा मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि सूबे के स्कूलों में नैतिक विज्ञान की पढ़ाई शुरू कराने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
मंत्री बोले अभिभावकों ने बताई जरूरत
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि हमने स्कूलों में मोरल साइंस यानी नैतिक विज्ञान की पढ़ाई की थी। किन्हीं कारणों की वजह से सालों से इसकी पढ़ाई कराना छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि कई माता-पिता और अभिभावक महसूस करते हैं कि इसे फिर से सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए और स्कूली स्तर से बच्चों को नैतिक विज्ञान का पाठ पढ़ाना चाहिए।
विशेषज्ञों से करेंगे परामर्श
शिक्षा मंत्री ने कहा कि फिलहाल हमने इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा है, लेकिन हम भविष्य में इसे शुरू कर सकते हैं। हालांकि, नैतिक विज्ञान का पाठ्यक्रम और विषय सामग्री आदि सब शैक्षणिक क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा तय की जाएगी। इससे पहले, हम अपने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से बात करने जा रहे हैं कि क्या हम नैतिक विज्ञान की शुरुआत कर सकते हैं या नहीं? मुख्यमंत्री से परामर्श करके हम इसे अगले शैक्षणिक वर्ष में पेश करना चाहते हैं।
भगवद्गीता केवल हिंदुओं के लिए नहीं है, यह सभी के लिए
मंत्री नागेश ने कहा कि विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर ही बेहतर सिलेबस बनाएंगे, जिसमें बच्चों पर जो सकारात्मक प्रभाव डालने वाली बातों और सीखों को शामिल किया जाएगा, फिर चाहे वह भगवद्गीता, रामायण और महाभारत या कुछ और ग्रंथ। उन्होंने कहा कि भगवद्गीता केवल हिंदुओं के लिए नहीं है, यह सभी के लिए है। विशेषज्ञों की सिफारिश हुई तो इस साल से नहीं बल्कि अगले साल से इसे जरूर पेश किया जाएगा। अंतिम तौर पर, सरकार को तय करना है कि नैतिक विज्ञान को शुरू करना है या नहीं।
(TNS)