Tirandaj Desk। कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया में वर्क फ्रॉम होम हमारे जीवन का हिस्सा बन गया। कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से ही बैठकर काम करने की अनुमति दी, ताकि संक्रमण की चपेट में आए बिना लोग काम करते हैं और उत्पादन भी प्रभावित नहीं हो। मगर, इस सुविधा में पुरुषों को तो आराम मिला, लेकिन महिलाओं काम दोगुना बढ़ गया।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जारी न्यूजीलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च ने इस बारे में अध्ययन किया है और एक रोचक रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के मुताबिक महिला कर्मचारियों को ऑफिस के साथ ही घर-परिवार और बच्चों की अतिरिक्त जिम्मेदारी उठानी पड़ी।
एएसबी बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विटोरिया शॉर्ट ने कहा कि हमारे अध्ययन से स्पष्ट होता है कि इस तरह काम करने की लचीली व्यवस्था के कई फायदे हैं। मगर, इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि इसके बावजूद महिलाओं से घर के अन्य कामों की उम्मीद भी की जाती है।
महिलाएं अभी भी अधिकांश घरेलू कामों की जिम्मेदारी ले रही हैं। कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान स्कूल भी बंद कर दिए गए। बच्चों के घर में रहने से ऑफिस का कामकाज मुश्किल रहा और होम-स्कूलिंग का पूरा ल्मर महिलाओं पर ही रहा।
न्यूजीलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च के इस अध्ययन के अनुसार सर्वेक्षण में शामिल 60 फीसदी से अधिक लोगों ने बताया कि घर से काम करना उनके लिए सकारात्मक रहा। हालांकि, 22 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्हें इसके साथ ही घर की अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन भी किया। दरअसल, घर से काम करने के लिए उपकरण और उचित स्थान मिलने मामले में भी पुरुष आगे रहे।